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________________ (ख) C (Lu के आगे, बगल में व पीछे) (ग) ELu (Lub के माध्यम से) Go, जब E0 करें, तो उंगलियों की दिशा सिर की दिशा से दूर रहनी चाहिए, अन्यथा उंगलियों द्वारा सिर में 0. नहुंचकर सिर में शाति कती है। (घ) यदि रोगी कमजोर है तो E Lu (LuB के माध्यम से)- R (शक्ति देने के लिए) (ङ) क्योंकि प्लीहा, L, K रक्त की शुद्धि करते हैं, इसलिये C (प्लीहा, L, K) / EW (च) चूंकि शरीर में समस्त रक्त परिभ्रमण का समय ६० सैकिन्ड होता है, . अतएव रक्त की सफाई तभी हो पाएगी, जब E Lu (Lub के माध्यम) में G तथा 0 का समय अलग-अलग इस समय से अधिक हो। (छ) यदि रोगी में प्रतिकूल प्रक्रिया हो या दर्द महसूस करें, तो C जब तक आराम न मिल जाये। उपक्रम (३१) बुखार-- Fover इसमें शरीर कमजोर हो जाता है, किन्तु 6 घना तथा अधिक सक्रिय होता है और गंदी लाल ऊर्जा से भरा होता है। 1 में ऊर्जा का खोखलापन होता है किन्तु चक्र अधिक सक्रिय होता है, किन्तु उसका E नहीं करना चाहिए क्योंकि E करने से बुखार बढ़ सकता है। उपचार में मुख्य बिन्दु शरीर की ठीक प्रकार से सफाई, 6 से घनी गंदी लाल ऊर्जा निकालना, शरीर को ठंडा करना, प्रभावित भाग का उपचार करना और शरीर का प्रतिरक्षात्मक तेज को मजबूत करना है। (क) GS (अनेक बार) GB (ख) c" 6,CLI E of GB'- इससे शरीर को चैन मिलता है, संक्रमण दूर होता है और शरीर जल्दी ठंडा होता है। ५.२०१
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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