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________________ उपक्रम (२३) सर्जरी में प्राणिक उपचार- Pranic Healing in Surgery सर्जरी के पहले तथा बाद में यह किया जाता है। यह रक्तस्त्राव और संक्रमण कम करने के लिए, शरीर और संबंधित अंग को शक्ति प्रदान करने के लिये तथा त्वरित ठीक होने के लिए किया जा सकता है। (१) छोटी शल्य चिकित्सा- Minor Surgery (क) सर्जरी के पहले C (जिस भाग का आपरेशन होना है)/ E GBV (रक्तस्राव तथा संक्रमण कम करने के लिए) (ख) सर्जरी के बाद (क) को दोहरायें अथवा उपरोक्त उपक्रम (१८) में वर्णित प्रक्रिया अपनायें। (ग) (1, 4)/ E R (त्वरित ठीक होने के लिए) (ग) यदि जरूरत हो, तो अगले कई दिनों तक उपचार दोहरायें। बड़ी शल्य चिकित्सा- Major Surgery (क) GS (२) (ख) C' (1, 4, 6) (ग) E (1, 4) R (घ) E 6w (ड) जिस भाग का ऑपरेशन होना है उसको तथा संबंधित चक्र का C/E W (च) प्रक्रिया (क) से (ङ) तक तुरन्त तथा आपरेशन से कई दिन या सप्ताहों पहले करनी चाहिए। यह शरीर को मजबूत करने के लिए है। (छ) C (जिस भाग का आपरेशन होना है)/E Gv' सर्जरी के दौरान– (ज) यदि जरूरत हो, उपचारक शरीर में ताकत पहुंचाने तथा रक्तस्राव करने के लिय उपचार कर सकता है। सर्जरी के बाद- (झ) GS (दिन में कई बार)- समस्त वायवी शरीर की सफाई के लिए, क्योंकि ऑपरेशन के बाद यह भूरा सा हो जाता
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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