SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 668
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (छ) नाजुक अंगों या उनके नजदीक के क्षेत्र पर उक्त प्रक्रिया न अपनाये। (ज) G-V या B-V भी घाव को त्वरित ठीक करने के लिये इस्तेमाल किया जा सकता है। उपक्रम (१६) पुननिर्माण- Regeneration मस्तिष्क, स्नायु तथा आंतरिक अंगों की कोशिकाओं के पुनर्निर्माण में G-v और G--y का उपयोग किया जाता है। जो नाजुक अंग नहीं हैं, उनको धीरे से E GOR द्वारा किया जाता है। यह तकनीक फेफड़े, र तथा । कोशिकाओं के पुनर्निर्माण के काम आती है। (क) C (AP तथा प्रभावित चक्र) GVIE (AP) B (स्थानीयकरण प्रभाव के लिए) (ख) यदि AP नाजुक है, तो E (चक्र के माध्यम से AP)G-V. G-Y यदि AP नाजुक नहीं है, तो E (AP) GOR CB/E GV (ङ) C (1, 4)/ E R (च) उपचार को सप्ताह में तीन बार जब तक जरूरी हो, तब तक दोहरायें । इलाज में ६ मास, एक साल या ज्यादा लग सकता है। उपक्रम (२०) त्वचा या हड्डी का प्रत्यारोपण- Skin or Bone Grafting इनमें 0-Y का प्रयोग होता है। उपक्रम (२१) कोशिकाओं का शीघ्र निर्माण- Rapid Growth of cells जब R, Y एक के बाद एक इस्तेमाल किये जाते हैं, तो कोशिकाएं तेजी से। बढ़ती हैं। यह बाल उगाने के काम आ सकता है। उपक्रम (२२) प्रत्यारोपित अंगों के अग्राह्यता का खतरा कम करना-- Reducing the risk of rejection of Transplanted Organs c (प्रत्यारोपित अंग)/ ER (६५% मात्रा); E Y (५% मात्रा)- इस केस में E 1 न करें, अन्यथा प्रतिरक्षात्मक तंत्र मजबूत होने के कारण विपरीत प्रभाव पड़ेगा। रे - - ५.१९६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy