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________________ (खो c' चक- हो सकता है कि इसी से धीमे तथा छोटे चक्र सामान्य हो जायें। (ग) 6 से 11 तक E V अथवा E IV तथा 6 से नीचे के चक्रों को ER अथवा EIR द्वारा ऊर्जित करें (घ) E IB द्वारा सील करें, ताकि प्रेषित ऊर्जा रिस न जाये। (१०) रोगों का उपचार- सामान्य उपयोग उपक्रम (१) अंगों को शक्ति पहुंचाना- सामान्य- Strengthening General (क) C G {DDL) / E G और अधिक शक्ति के लिए E V' -- (कण्ठ एवम् इससे ऊपर के भाग के लिए) या E RV (अन्य भागों के लिए) (ख) T (संबंधित सबसे नजदीक चक्र, इन्हीं मार्गदर्शनों के अनुसार) उपक्रम (२) पैरों को शक्ति पहुंचाना- Strengthening the legs (क) C1 G (DDL) ME R- (1 को तथा पैरों को शक्ति पहुंचाने के लिए) (ख) CPG (DDL)/E R- (p को शक्ति पहुंचाने के लिए एवम् इसके द्वारा समुचित मात्रा में 1 से पैरों तक ऊर्जा पहुंचाने के लिए) (ग) E 4 G (DDL) E R- (4 को शक्ति पहुंचाने के लिए तथा शरीर . की सामान्य तौर पर तथा विशेष तौर पर पैरों की ओजस्वता- Vitality बढ़ाने के लिए) E 2 G (DDL) ME R- (2 को शक्ति पहुंचाने के लिए तथा 2 से समुचित मात्रों पैरों में पहुंचाने के लिए) (ङ) C(समस्त पैरों का) G (DDL) ~O(FLE) (च) C (h,k,S) G (DDL)~O(FLE) E R (पैरों को और इन चक्रों को शक्ति पहुंचाने के लिए)- hk का स्थिरीकरण करें, किन्तु S का स्थिरीकरण न करें। ५.१८९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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