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________________ -- - किया जाता है। माध्यमिक रोगों के लिए पूरे इलाज में एक मिनट से कम का भी समय हो सकता है। यह ज्यादा आवश्यक है कि पुनः जांच द्वारा देख लिया जाये कि समुचित ऊर्जन हुआ है या नहीं। यदि आपको यह निर्णय करना मुश्किल हो रहा है कि किस रंग की प्राण ऊर्जा का उपयोग करना चाहिए तो क्या करें(क) मामूली रोगों के लिए - CG, E W (ख) गंभीर रोगों के लिए - CG, E V सामान्य तौर पर, शिशुओं और छोटे उम्र के बच्चों एवम् बूढ़े व्यक्तियों का उपचार w द्वारा करे। कुछ केसों में यदि W समुचित तौर पर प्रभावी नहीं होती, तो सफेद रंग से मिश्रित हल्के रंग की प्राण ऊर्जा का उपयोग करें | (७) चक्रों को संकुचित करना(क) चक्र की जांच करें- सामने तथा बगल से (ख) c' चक्र- हो सकता है, इसी से अति उत्तजित चक्र सामान्य हो जाये। (ग) E IB द्वारा चक्र को संकुचित करने की इच्छा करें एवम् दृश्यीकृत करें। (घ) चक्र की दुबारा जांच करें। अंगों को संकुचित करना यह पाया गया है कि गैस्ट्रिक अल्सर (Ulcer) में 6 के साथ-साथ पेट भी अति उत्तेजित हो जाता है। अंग को उपरोक्त विधि से संकुचित किया जा सकता है। इसके लिए(क) C' (AP) (ख) E (AP) GB (ग) E IB द्वारा स्थिरीकरण करें। चक्रों को उत्तेजित करनाअध्याय ८ के क्रम संख्या ४ (झ) तथा १० (ज) का अवलोकन करें। (क) c चक्र की जांच करें- सामने तथा बगल से --- - - ५.१८८
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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