SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 648
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (घ) शारीरिक उपयोग गहरे रंग की eV को नष्टकारक गुण के कारण इसका उपयोग ट्यूमर तथा कैंसर में किया जा सकता है, किन्तु उससे पहले इसके प्रभाव को संकुचित करने के लिये गहरे नीले प्राण ऊर्जा से उसको ऊर्जित करना पड़ेगा । (ङ) मनोरोगों में उपयोग सभी रोगों पर। इसकी विशेष चर्चा अध्याय २३ व २४ में की गई है। इसके उपयोग करने की विधि भी वहीं बताई गयी है । (च) सावधानियां (9) ev का उपयोग कभी भी R, O, Y, G या V के साथ-साथ नहीं करना चाहिए, क्योंकि प्रभाव अति नष्टकारक होता है । इसीलिये यह साधारणतः शारीरिक रोगों के उपचार के काम में नहीं लायी जाती| यदि रोगी ग्रहणशील नहीं है, तो यह नष्टकारक ऊर्जा उपचारक के पास टकराकर लौट आती है। (२) सामान्य नियम यह है कि ev का उपयोग B के अतिरिक्त किसी भी अन्य रंगीन प्राण ऊर्जा (R, O, Y, G, V) के साथ C अथवा E में नहीं करना चाहिए, किन्तु C ( अन्य ऊर्जा द्वारा ) तथा Eev या EBev या EevB या EmeVB या EdevB कर सकते हैं। Cev अथवा CBeV कर सकते हैं। यहां B से तात्पर्य B— हल्के, मध्यम अथवा गहरे से है। ma d क्रमशः मध्यम (medium) व गहरे (dark ) शेड के द्योतक हैं। कभी भी ev का 5 पर उपयोग न करें । (छ) नोट- eV के ग्रहण करने की क्षमता उपचारक के आध्यात्मिक उन्नति एवम् उसकी आध्यात्मिक डोरी की मोटाई पर निर्भर करती है. जो 11 से जुड़ी होती है। 4471944
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy