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(ठ) पहले G. फिर 0 से ऊर्जन करना रोगग्रस्त ऊर्जा और इस्तेमाल की
हुई ऊर्जा तथा अंग/चक्र की सफाई में अत्यन्त प्रभावशाली होता है। किन्तु यह केवल उन्हीं अंगों/चक्रों पर इस्तेमाल की जा सकती है, जो नाजुक न हो। नाजुक अंगों/चक्रों पर यह कार्य बैंगनी रंग की ऊर्जा
से लिया जाता है। यह सलाह दी जाती है कि अधिक शक्तिशाली ऊर्जा जैसे नारंगी, लाल और बैंगनी रंगों की ऊर्जा द्वारा सम्भावित क्षति को बचाने के लिए, पहले हरे रंग की ऊर्जा द्वारा ऊर्जन करें। किसी भाग के भौतिक एवम् वायवी सफाई के लिए पहले हल्के हरे (light green), फिर हल्के नारंगी (light orange) प्राण-ऊर्जा से ऊर्जित करें। हल्के हरे रंग की ऊर्जा से रोगग्रस्त ऊर्जा टूटेगी, फिर हल्के नारंगी रंग की ऊर्जा ढीली हो गयी ऊर्जा को बाहर खदेड़ देगी। इस क्रम का ध्यान रखें। यदि हल्के हरे रंग की ऊर्जा के थोड़े अधिक भाग के साथ हल्के नारंगी रंग की ऊर्जा के थोड़े कम भाग से एक साथ मिलाकर उपयोग किया जाए तो इसका प्रभाव कई गुना हो जाता है, इस कारण से यह आंशिक रूप से नष्टकारी हो जाती है और इसको जमा हुए पदार्थों को घोलने के काम आती है। जब और गहरे रंग की ऊर्जा का उपयोग किया जाता है तो इसका और भी अधिक नष्टकारी प्रभाव हो जाता है और यह कुछ प्रकार के कैन्सर के उपचार के काम में लिया जाता है। किन्तु यह आवश्यक है कि इस नष्टकारी ऊर्जाओं के प्रभाव को सीमित करने के लिए पहले उचित प्रकार के शेड के नीले रंग की ऊर्जा प्रेषित की जाए।
(Light Whitish Green Energy (G)
(क) स्रोत- वायु प्राण- माध्यम 8 (ख) रचना- केन्द्र में लगभग ७० प्रतिशत प्रकाशवान सफेद और परिधि में
लगभग ३० प्रतिशत लगभग हल्का हरा- हल्के हरे रंग का शेड
(shade) चित्र ५.०४ में दिग्दर्शित है। (ग) प्रकृति- यह के तुलना में अधिक सुरक्षित है और उससे कम
प्रभावशाली है। (घ) शरीर पर प्रभावीगुण- साधारणतया सफाई करते समय (१) तोड़ना
(२) हजम करना
५.१६०