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________________ (ज) यदि आपको रंगीन ऊर्जा के वांछित रंग का सही दृश्यीकरण करने में कठिनाई होती है, तो ईश्वर से विश्वास के साथ प्रार्थना करें कि प्रेषित ऊर्जा का रंग वही हो जो आप चाहते हैं। विभिन्न प्रकार की रंगीन ऊर्जाओं के गुण, उनके उपयोग और इनके उपयोग में सावधानियां जो बर्तनी चाहिए, वे आगे दिये गये हैं। () प्रयोग- लाल रंग की प्रकृति उष्ण एवं नीले रंग की ऊर्जा की प्रकृति ठंडी होती है। इसके प्रयोग के लिए आप अपने 1 से लाल ऊर्जा ग्रहण करके हथेली पर यदि महसूस करेंगे तो थोड़ी गर्मी सी लगेगी। और यदि 8 से नीली ऊर्जा ग्रहण करके हथेली पर महसूस करेंगे तो थोड़ी ठण्डक सी लगेगी। सफेद व विभिन्न प्रकार की ऊर्जाओं को दवा के रूप में प्रयोग करें। जैसे कम दवा या कम शक्ति की दवा ज्यादा प्रभावकारी नहीं होती और अधिक मात्रा में या अधिक शक्ति की दी गयी दवा हानिकारक हो जाती है. इसी प्रकार इन ऊर्जाओं के विषय में समझना चाहिए। लाल रंग की ऊर्जा - Light whitish Red Energy (R) (क) स्रोत-- वायु प्राण- माध्यम मूलाधार चक्र (1) (ख) रचना- केन्द्र में लगभग ७० प्रतिशत प्रकाशवान सफेद और परिधि में लगभग ३० प्रतिशत हल्का लाल। हल्के लाल रंग का शेड (shade) चित्र ५.०४ में दिग्दर्शित है। (ग) Texture (वस्तु रचना) - उष्ण (घ) शरीर पर प्रभावीगुण (१) शक्तिवर्धक (२) उष्णता पैदा करने वाला (३) विस्तार करने वाला Expansive, Dilating (४) वितरण में सहायक- Distributiveimproves circulation (५) रचनात्मक Constructive - rapid tissue or Cellular repair (६) भौतिक शरीर को स्थिर (sustain) करने में सहायक ५.१५५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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