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________________ (१२) उच्च रक्तचाप का सुगम स्व-उपचार पहली विधि (क) सोने के समय, लगभग १५ मिनट तक प्राण श्वसन क्रिया करें, तथा साथ-साथ 6 पर चक्र-श्वसन भी किया करें। (ख) श्वसन करते समय सांस बाहर निकलने के साथ-साथ भूरे से रोग ग्रस्त ऊर्जा को बाहर जाते हुए दृश्यीकृत करें तथा सांस अन्दर लेते हुए स्वस्थ ऊर्जा को अन्दर आते हुए दृश्यीकृत करें। द्वितीय विधि (क) अपने 7 तथा थायमस ग्रंथि की ओर अवलोकन करते हुए कई मिनट मुस्कराइये, साथ-साथ उनको प्रसन्नता तथा प्यार भरी ऊर्जा प्रेषित करिए। (ख) कई केसों में इससे धीरे-धीरे 3 तथा 6 का सामान्यीकरण हो जायेगा। (ग) नोट- यह ध्यान में रखिए कि हृदय चक्र और थायमस ग्रंथि उच्च चक्रों तथा उनसे सम्बन्धित अंगों के, आज्ञा चक्र द्वारा नियमन में सहायता करते हैं। थायमस ग्रंथि हृदय, रक्तचाप, गला, थायरायइड ग्रंथियों, पैराथायराइड ग्रंथियों और सिर के आन्तरिक अंगों को प्रभावित करती (१३) स्व-उपचार में होने वाली कठिनाई कुछ उपचारकों को अपना उपचार करने में कठिनाई हो सकती है। ऐसी निम्नलिखित कारणों से आ सकती है। (क) उसका शरीर बहुत कमजोर और दर्द से परेशान हो तो उसे अपनी इच्छा को केन्द्रित करने और उसका उपयोग करने में कठिनाई हो। (ख) स्व-उपचार के अभ्यास की कमी। ५.१३९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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