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(ग) वह स्वयं के उपचार के लिए आलसी, थका हुआ, कमजोर या स्वयं पर
ध्यान न देता हो। ऐसा भी हो सकता है कि उपचारक आराम करना चाहता हो और दूसरे उपचारक से अपना इलाज करवाना चाहता हो। द्विहृदय पर ध्यान-चिन्तन न कर सक पाना । प्राण शक्ति उपचार के अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार की आवश्यकता हो। नकारात्मक कर्म जिनका वर्णन अध्याय १ के क्रम संख्या १७ में दिया
है
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