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लिए समुद्र का पानी या नमक मिले पानी (तापमान ३६--४० डिग्री) से स्नान करना बहुत लाभदायक होता है। नमक मिले पानी से जीव द्रव्य शरीर की सफाई होती है और उसके प्रतिरोधी तंत्र को ताकत मिलती है। यह इलाज यद्यपि साधारण है लेकिन बहुत ही प्रभावशाली है। इसको प्रतिदिन एक या दो बार करना चाहिए। इलाज के लिये लगभग २० मिनट के स्नान के उपरान्त, शरीर को ऊर्जित करने हेतु किसी छायादार जगह आराम करना चाहिये तथा PB करें। इसके इलाज को पहले दो सप्ताह तक प्रतिदिन, बाद में कई महीनों तक सप्ताह में तीन दिन करें या जब तक जरूरी हो तब तक ऐसा करें। नकारात्मक विचारों व भावनाओं का त्याग गम्भीर रोगों से पीड़ित रोगी प्रायः लम्बे समय तक नकारात्मक भावनायें रखे पाये गये हैं। बार-बार गुस्सा करना आदि इसके उदाहरण हैं। इन भावनाओं के कारण 6 ठीक प्रकार काम नहीं करता और जिससे जिगर प्रभावित होता है। इसका विशिष्ट वर्णन भाग ४ के अध्याय ११ के अन्तर्गत (6) सौर जालिका चक्र के वर्णन में सन्निहित है। प्राणशक्ति उपचार के प्रकाशक मास्टर चोआ कोक सुई ने यह महसूस किया है कि जो व्यक्ति गम्भीर गठिया-जोड़-दर्द, खराब गुर्दे से पीड़ित है और जिसके शरीर का प्रतिरोधी सुरक्षा तंत्र ठीक प्रकार से कार्य नहीं करता है, उसमें बहुत गुस्सा होता है। जिन रोगियों की छाती या बगल में रसौली (cyst) होती है उनमें बहुत अधिक तनाव होता है। इनका 6 बहुत घना होता है। तनाव 6, L और कुछ हद तक शरीर के कोलोस्ट्रॉल की मात्रा को भी प्रभावित करता है। इसीलिए सभी रोगियों को और गम्भीर रोगियों को विशेष तौर पर सलाह दी जाती है कि वे नकारात्मक भावनाओं का त्याग कर सकारात्मक आचरण और भावनाएं रखें तथा जीवन में ध्यान-चिंतन की सामान्य विधि अपनायें। कर्णप्रिय संगीत का प्रभाव सिर दर्द जैसे साधारण रोग में कर्णप्रिय संगीत को ध्यान से सुनने से अथवा सकारात्मक भावनायें करने से एक प्रकार से उपचार होते देखा गया है। इसका सम्भावित उत्तर यह है कि मन और शरीर को आराम देने से उपचार में