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शारीरिक कसरत स्वयं के उपचार तथा स्वयं के स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिए शारीरिक कसरत का विशेष योगदान होता है। शरीर गर्म करने की कसरत, नाच,
खेलकूद, प्राणशक्ति के शरीर में वितरित करने में मदद करते हैं और ताजी प्राणशक्ति को शरीर के अंदर खींचने तथा उपयोग की गयी प्राणशक्ति या रोगग्रस्त जीव द्रव्य पदार्थ को शरीर से बाहर निकालने में सहायता करते हैं। दिव्य दर्शन से यह देखा गया है कि कसरत करते समय सफेद ताजी प्राणशक्ति शरीर के भीतर जाती है और भूरा रोगग्रस्त पदार्थ बाहर फेंका जाता है। कसरत करते समय यदि PB भी किया जाये तो और अच्छा रहता है। हठयोग और ताओवादी योग में कुछ खास रोगों के इलाज के लिए विशेष प्रकार की कसरते हैं। शरीर का कौन सा भाग हिलाया जा रहा है, मोड़ा जा रहा है. दबाया जा रहा है- उसे ध्यान से देखकर और विश्लेषण करके यह मालुम किया जा सकता है कि कौन सी मुद्रा स्थिति या कसरत जरूरी है। साथ ही यह भी पता लगाया जा सकता है कि रोगग्रस्त भाग पर कौन सा चक्र है।
सच बात तो यह है कि आप अपने शरीर के उस भाग को हिलाकर, मोड़कर, दबाकर या खींचकर नये-नये तरीके खोज सकते हैं जिस भाग में वह खास चक्र है। स्वयं ही कसरत के नये तरीके या पद्धतियों का विकास कर खास चक्रों की सफाई और ऊर्जन कर सकते हैं। प्राणशक्ति उपचार के बाद प्राणशक्ति को दुबारा जमा करने के लिए भी शारीरिक कसरत उपयोगी होती है। अच्छी कसरत में शरीर के सभी अंगों को खास-खास समय के लिए हिलाने की गुंजाइश होनी चाहिए जिससे हाथ और पैर के सभी बड़े और छोटे चक्रों की सफाई व ऊर्जन हो सके। उदाहरण के तौर पर यह कसरतें अध्याय-३ द्विहृदय पर ध्यान-चिंतन में क्रम (क) "वायवी शरीर की सफाई के अन्तर्गत वर्णित हैं। नमक मिले पानी का स्नान जीव द्रव्य शरीर से रोग ग्रस्त ऊर्जा को निकालने, खासकर कैंसर, अधिश्वेत रक्तता, रतिज रोग, जोड़ों के दर्द, लकवा और कुष्ठ रोग से पीड़ित रोगियों के
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