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________________ (१) पहला भाग- सामान्य सफाई व ऊर्जन (क) PB करें। और साथ ही सिर के ऊपर तेज चमकदार प्रकाश के गोले का अनुभव करें। (ख) उस गोले से प्रकाश की धारा निकलकर सिर में जाते हुए और वहां से धीरे-धीरे पैरों तक जाते हुए दृश्यीकृत करें। सभी मुख्य चक्रों; मुख्य अंगों; रीढ़ तथा शरीर की अन्य हड्डियों को इस सफेद प्रकाश द्वारा सफाई करते व ऊर्जित करते हुए दृश्यीकृत करें। (ग) सफेद प्रकाश को पैरों के रास्ते बाहर आते हुए और भूरा रोग ग्रस्त पदार्थ बाहर फेंकते हुए दृश्यीकृत करें। उपरोक्त क्रिया को तीन बार करें। () पैरों के नीले चकदार प्रकाश की गेंद को दृश्यीकृत करें। इस चमकदार प्रकाश की गेंद के माध्यम से प्रकाश की धारा के रूप में जमीन से प्राणशक्ति खींचें। s द्वारा सिर तक प्राणशक्ति खींचें। अंदर खींची गई इस प्राणशक्ति को 11 द्वारा बाहर छिड़ककर निकालें, ऐसा तीन बार करें।। (२) भाग २- प्राणशक्ति को शरीर में वितरित करना (क) पैरों से लेकर शरीर के पीछे, ऊपर, सिर, चेहरा, शरीर के सामने और बाद में पैरों तक प्राणशक्ति ,फैलाते हुए महसूस करें। प्राणशक्ति को पीछे से आगे की ओर तीन बार वितरित करें या फैलायें। (ख) प्राणशक्ति को वितरित करने की प्रक्रिया उल्टी करें और उसे आगे से पीछे की ओर फैलायें। ऐसा तीन बार करें। प्राणशक्ति को बांये से दांये तीन बार और दांये से बाये तीन बार वितरित करें। प्राणशक्ति के वितरित करने का उददेश्य यह है कि प्राणशक्ति पूरे शरीर में समान रूप से फैल जायेगी और (ग) प्राय ५१३३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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