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(ज) रतिज रोग, कैंसर, अधिश्वेतरक्तता रोगों से पीड़ित व्यक्ति को प्रभावित
चक्रों पर यह पद्धति नहीं करना चाहिए क्योंकि इससे उनकी दशा और बिगड़ सकती है।
सामान्य सफाई व ऊर्जित करना
यदि आपका शरीर कमजोर है या किसी रोग से संक्रमित है तो स्वयं ही यह करें। ऐसा करने से न केवल आपके शरीर को ऊर्जा मिलेगी बल्कि स्वास्थ्य किरणों की उलझन कुछ हद तक दूर हो सकेगी और बाहरी आभा मण्डल के छेद भी बंद हो जायेंगे ।
(क) विधि – १ प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया- अपनी चेतना को समस्त शरीर में फैला दें। दस बार PB करें। सांस धीरे-धीरे अंदर खींचे। इस बात की इच्छा करें और दृश्यीकृत करें कि प्राणशक्ति शरीर के सभी अंगों में जा रही है। धीरे-धीरे अपनी सांस बाहर छोड़ें और भूरा रोगग्रस्त पदार्थ शरीर के सभी अंगों द्वारा बाहर फेंकते हुए दृश्यीकृत करें। स्वास्थ्य किरणों को सीधा महसूस करें। फिर दस बार PB करने के बाद दस मिनट तक नाभि पर ध्यान केन्द्रित करें। साथ ही सत्र की समाप्ति के पहले PB करें। जब आप कुशल हो जायेंगे तो आपको प्राणशक्ति ऊर्जा शरीर के सभी भागों में जाते हुए महसूस होगी ।
(ख) विधि २- दृश्यीकरण माध्यम- PB करें। आप स्वयं को या किसी अन्य व्यक्ति को दृश्यीकृत करें। ऐसा महसूस करें कि दृश्यीकृत व्यक्ति आपके शरीर पर GS व C तथा E कर रहा है। ऐसी इच्छा करें और दृश्यीकरण करें मानो आपका शरीर चमकदार हो रहा है, स्वास्थ्य किरणों की उलझन दूर हो रही है और बाहरी आभा मंडल प्रकाशित हो रहा है। इस बात का ध्यान करें कि गंदा रोग ग्रस्त जीवद्रव्य पदार्थ बाहर फेंका जा रहा है ।
(ग) विधि ३- सफेद प्रकाश पर ध्यान चिंतन करना - यह दो भागों में
होती है ।
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