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________________ (च) इस इलाज को शल्य चिकित्सा से कुछ पहले या कई दिन या सप्ताह पहले भी किया जा सकता है। उपक्रम (३६) कैन्सर- Relieving Cancer Patients सावधान- जब तक प्राणशक्ति उपचारक ने अच्छी तरह प्राणशक्ति उपचार में , दक्षता न हासिल कर ली हो, वे इस उपचार को न करें, क्योंकि इसमें रोगी उपचारक से अत्यधिक प्राण-शक्ति खींचता है। कैंसर के रोगियों का ऊर्जा शरीर द, और कमजोर होता है, लेकिन पीडित अंग अत्यधिक प्राणशक्ति के कारण बहुत घने होते हैं। इस प्रकार के क्षेत्रों में जहाँ प्राणशक्ति का घनापन होता है, वहां कैंसर की कोशिकायें बहुत बढ़ती-फलती हैं। कोशिकाओं को तेजी से आगे बढ़ने के लिए बहुत अधिक प्राणशक्ति ऊर्जा की जरूरत पड़ती है। इस इलाज का उद्देश्य रोगी को तड़पाने वाले दर्द से छुटकारा दिलाने और प्राणशक्ति ऊर्जा की कमी करके कैंसर की कोशिकाओं को फैलने और बढ़ने से रोकना है। (क) GS (५) (ख) C (AP) (३०० से ५०० बार तक)- इससे कम c करने से कोई फायदा नहीं होता। (ग) AP की फिर जांच करें, यदि जरूरत हो तो C' (AP) (घ) c (6, 3. 1) (५० से १०० बार)- इन चक्रों को ऊर्जित न करें, अन्यथा रोग बढ़ेगा। (ङ) उपचारक के लिए बहुत आवश्यक है कि स्थानीय C करने से पहले अपने हाथ नमक मिले पानी से हमेशा धोया करें क्योंकि रोगग्रस्त ऊर्जा बहुत ही चिपचिपी और खुजली देने वाली होती है। यदि ऐसा न किया जाए तो हाथों की उंगलियों में जोड़ों का दर्द हो सकता है। (च) जब तक जरूरी हो, तब तक कम से कम दिन में एक बार इलाज करें। हो सके तो रोगी के पूरे जीवन भर यह इलाज करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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