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________________ (छ) यदि सम्भव हो तो रोगी को रोज तैरने के लिए निर्देश दें। तैरने से रोगी पर उपचारक प्रभाव पड़ते हैं। उपक्रम (३१) पक्षाघात के कारण लकवा-Paralysis due to Stroke (क) रोगी की अच्छी तरह जांच करें। (ख) (पीड़ित अंग 9, 10, 11; bh) पर विशेष ध्यान देते हुए C' (पूरा सिर)/E 11 (यदि रक्तचाप सामान्य या स्थिर न हो, तो E 1 न करें) – यह शरीर को मजबूत बनाने और उपचार में तेजी लाने के लिए है। (घ) C' (पीडित हाथ) IT (a. k, H) - H में प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करे। (ङ) यदि उंगलियां प्रभावित हों, तो उनका करें। (च) c (पीडित पैर) T (h, k, S) - में प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करे। (छ) यदि गला प्रभावित हो, तो T (8, 8', j) (ज) आवश्यक्तानुसार सप्ताह में तीन बार इलाज करें। (झ) रोगी को शारीरिक कसरती उपचार नियमित रूप से करना चाहिए। उपक्रम (३२) अंतःस्त्रावी रोग- Allments of the Endocrine Glands (क) मुख्य चक्रों को जांचे। (ख) T (जो चक्र ठीक से कार्य नहीं कर रहे हों) (ग) 19 (घ) यदि अग्न्याशय प्रभावित हो तो c' 6/E6b (ङ) यदि थॉयराइड ग्रंथियां पीड़ित हों तो C8 / E (च) आवश्यक्तानुसार सप्ताह में तीन बार इलाज करें।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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