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________________ नियंत्रित करता है जैसा भाग ४ में वर्णित है। 1 भूरा व गंदा होता है, अतएव उसका उपचार करना चाहिए। 6 व 1 का प्रारम्भिक व माध्यमिक उपचार पद्धतियों से ऊर्जित नहीं करना चाहिए अन्यथा हालत और बिगड़ सकती है। उपचार निम्नवत करें। 1 से बहुत अधिक मात्रा में प्राणशक्ति ऊर्जा सिर की ओर जाती है जिससे उस क्षेत्र में बहुत तकलीफ होती है। सिर, विशेषकर उसका पिछला भाग लगभग गंदा होता है, इसलिए उसकी अच्छी करह सफाई करना चाहिए। (क) GS ( ३ या अधिक बार) (ख) C (11, सिर के पीछे और रीढ़ पर )- जब तक रोगी को आंशिक या पूरी तौर पर आराम नहीं हो जाता। (ग) C (५० या अधिक बार ) ( 6, 3) यह तब तक करें जब तक रक्तचाप कम या स्थिर न हो जाये। यदि जरूरी हो, तो कई बार दोहरायें । (घ) 3 को ऊर्जित न करें। पूरा इलाज उन्नत प्राणशक्ति उपचार में दिया है । CK, यदि गुर्दे ठीक तरह काम नहीं कर रहे हों, तो। C 1 (छ) C (11, 10, 9) / E, तदुपरान्त C' (पूरे सिर पर ) यदि सिर प्रभावित हो तो उसका भी इलाज करें। (ङ) (च) बु बु (ज) (झ) — रोगी को शीघ्र ही मैडिकल डाक्टर और उन्नत प्राणशक्ति उपचारक से मिलने की सलाह दें । उपक्रम ( १२ ) सूंघने की शक्ति चली जाना - Loss of Smell (क) T (10, 9) 9 पर विशेष ध्यान दें । (ख) C n (ग) यदि कान के व bh लघु चक्र प्रभावित हों, तो इनका T - ५.१०७
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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