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(घ) जब तक जरूरी हो, सप्ताह में दो दफा इलाज दोहरायें। उपक्रम (१३) शिरानाल शोथ- Sinusitis
(क) C' (भौंह के ऊपर और गाल की हड्डियों के क्षेत्र पर) (ख) C' (10, 9) /E- 9 पर विशेष ध्यान दें। (ग) Tn (घ) जब तक जरूरी हो, सप्ताह में तीन बार इलाज करें। ज्यादा तकलीफ
हो, तो इलाज दिन में दो या तीन बार दोहरा सकते हैं। उपक्रम (१४) श्वास सम्बन्धी रोग- (निमोनिया, क्षयरोग, वातस्फीत आदि) Respiratory Diseases (Pneumonia, Tuberculosis, Emphysema etc.)
(भाग ४, अध्याय १४, क्रम संख्या ८ पर देखें) (क) GS (२ या ३) (ख) यदि नाक प्रभावित हो, तो c' 9/E (ग) यदि गला प्रभावित हो तो C' (8, 8)/E (घ) CLu(आगे, पीछे और अगल-बगल में और चारों ओर से)/07 (ङ) E' (Lu व हृदय) (7b के माध्यम से) (च) C' 6/E (छ) यदि रोगी बहुत कमजोर है, तो शरीर की ऊर्जा स्तर बढ़ाने और ताकत
देने के लिये T 14, 1) यदि रोगी को बुखार हो, तो 1 को ऊर्जित न करें अन्यथा बुखार बढ़ जायेगा। ऐसी दशा में T (H,S) करें। प्रेषित ऊर्जा का स्थिरीकरण न
करें। (ज) सप्ताह में तीन बार इलाज करें। (झ) क्षय रोग से पीड़ित व्यक्ति के रोग की गंभीरता ध्यान में रखते हुए पांच
महीने या उससे अधिक समय तक सप्ताह में तीन बार इलाज दोहरायें।
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