SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 577
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ (छ) दीर्घ कालीन ग्लाकोमा में यदि रोगी ठीक नहीं महसूस कर रहा हो तो एक या दो घंटे बाद इलाज को दोहराया जा सकता है। (ज) रोगी को नेत्र विशेषज्ञ और निपुण उन्नतशील प्राणशक्ति उपचारक से मिलने की सलाह दें। उपक्रम (६) हृदय रोग- Heart Ailments 7 पर प्राणशक्ति या घनेपन या फिर दोनों ही स्थिति में हृदय रोग होता है। हृदय की कई बीमारियां जैसे हृदय का बढ़ जाना, उसकी मांसपेशियों का आंशिक रूप से काम न करना, रिह्यूमैटिक हृदय, पेसमेकर के ठीक प्रकार से काम न करने पर होने वाला हृदय-घाव आदि सबके लिए मूल उपचार एक ही है यानी 7 व 6 का T (क) हृदय की अच्छी तरह जांच करें तथा रोगी से उस मूल स्थान को बताने को कहें, जहां दर्द है। (ख) c7f, C दर्द वाले स्थान (उंगली द्वारा), अपनी उंगलियों को दर्द वाले छोर्ट स्थान के अन्दर रोगग्रस्त जीव पदार्थ को बाहर निकालते हुए दृश्यीकृत करें। (ग) c7b/E हृदय (7b के माध्यम से)। कल्पना करें कि हृदय और ?f चमकीला और साफ हो रहा है। रोगी से दुबारा पूछकर, दुबारा जांचकर, पुनः T (उस स्थान की) (ङ) यदि हृदय में प्राणशक्ति की कमी है या कमजोरी है, तो ऊर्जन पर विशेष ध्यान दें लेकिन अच्छी तरह सफाई भी अत्यावश्यक है। C' (6. L)/E6 (छ) यदि 7f व 6f पर गंभीर रूप से घनापन हो तो इनका C', इसको पूरी तौर पर निकालने में ५-१० मिनट लग सकते हैं। E हृदय (7b के माध्यम से) IC E 6/C ५.१०५
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy