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घूमता है तब वह चकाचौंध करने वाले प्रकाश-बिंदु जैसा दिखाई देता है। जब अध्यात्म का आकांक्षी व्यक्ति ध्यान करता है तब उसके सिर के क्षेत्र की ओर आध्यात्मिक व प्राणशक्ति ऊर्जा आकर्षित होती है । इसीलिए उन्नत या प्रसिद्ध योगियों या साधु-संतों के सिर के चारों ओर चकाचौंध या अंधा कर देने वाला प्रकाश (आध्यात्मिक प्रभामण्डल) दिखाई देता है। क्या श्री अरिहन्त परमेष्ठी के भामण्डल का अति तेजस्वी दिव्य प्रकाश इसी सिद्धान्त पर आधारित है ? ६. सामान्य और गंभीर केसों का इलाज उपक्रम (१) ओजस्वी ऊर्जा स्तर बढ़ाकर शरीर के प्रतिरोधी तंत्र को मजबूत करना-- Strengthening the Body's Defense System by increasing its Vital Energy Level
(क) GS (३ या ४) (ख) TES.ii } -- E के साथ ही आप हड्डियों के अन्दर प्राणशक्ति ऊर्जा या
सफेद प्रकाश को जाते हुए दृश्यीकृत करें। इससे हड्डियों को मजबूती
मिलेगी। इन चक्रों में प्रेषित प्राणशक्ति का स्थरीकरण न करें। (ग) C' (6, L - आगे, पीछे व अगल-बगल से) (घ) E6f – इससे । को ताकत और पूरे शरीर को, विशेषकर पेट के अन्दर
आंतरिक अंगों को ऊर्जित किया जा सकता है| Lखून की गंदगी साफ ___ करता है, और उसे ताकत देने से प्रतिरोधी तंत्र मजबूत होगा। (ङ) 7 4 – इससे आंशिक रूप से 5 भी ऊर्जित होगा, जिससे वह
अधिक प्राणशक्ति सोखेगा। इसके अतिरिक्त इससे कृत्रिम ऊर्जा (synthetic Ki) भी बनेगी जिससे वायवी शरीर अधिक शक्तिशाली होगा। C 1/E 1 (बुखार की दशा में 1 को ऊर्जित न करें, अन्यथा इससे
बुखार बढ़ सकता है)। (छ) जो रोगी रतिज रोग (veneral diseases) से पीड़ित हों या इसका
इतिहास रखते हों, उनका इलाज न करें। इसका उचित इलाज अध्याय . १७ में वर्णित है तथा उन्नत प्राणशक्ति उपचारक द्वारा किया जाना चाहिए।
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