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उपक्रम (३) प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया का झाड़-बुहार में उपयोग
यदि प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया के साथ सामान्य व स्थानीय झाड़-बुहार किया जाये तो इसका प्रभाव और बढ़ जाता है क्योंकि इससे एक उचित सीमा तक रोगी की प्राणशक्ति की सफाई और उसे ऊर्जित करने की प्रक्रिया साथ-साथ होती है। इस प्रकार का झाड़ बुहार बहुत ही प्रभावी होता है और सामान्य उपचारों के लिए यही काफी भी हो सकती है। रोगी से कई फीट दूर रहकर और कुछ ही बार में झाड़ बुहार किया जा सकता है।
आप जब रोगी को ऊपर से नीचे की ओर सामान्य झाड़ बुहार कर रहे हों तब एक सफेद चमकदार प्राणशक्ति को दृश्यीकृत कर सकते हैं जो रोगी के सिर से पैर तक झाड़ बुहार और धुलाई कर रही है। यह कल्पना करें कि स्वास्थ्य किरणें तनकर सीधी हो गई है। ऐसा करने से और भी अधिक प्रभावी सफाई होती है।
झाड़ बुहार करते समय जीवद्रव्य नाड़ी या चैनल (meridians) पर अधिक ध्यान रखना चाहिए। प्लीहा चक्र को छोड़कर सभी बड़े चक्र सीधे रूप से इन दो चैनलों से जुड़े रहते हैं। इन दोनों की झाड़ बुहार करने से इनसे जुड़े मुख्य चक्रों की भी सफाई हो जाती है और उपचार अधिक तेजी से होता है।
जब आप स्थानीय झाड़ बुहार करें तो कल्पना करें कि आप की उंगलियां और हाथ रोगी के रोगग्रस्त भाग में जा रहे हैं और भूरा रोगग्रस्त जीव पदार्थ बाहर निकाला जा रहा है। उपक्रम (४) प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया द्वारा ऊर्जित करना
प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया द्वारा प्राणशक्ति को ग्रहण किया जाता है और एक या दोनों हाथ चक्रों द्वारा प्रक्षेपित किया जाता है। इसकी विधि इस प्रकार है:(क) तीन से पांच बार धीरे-धीरे प्राणशक्ति श्वसन प्रक्रिया करें और साथ ही
अपने मन को शांत व एकाग्र रखें। (ख) उक्त प्रक्रिया करते रहें और अपने एक या दो हाथों को रोगी के
रोगग्रसित अंग के पास रखें। अपनी हथेलियों के बीच ध्यान केन्द्रित करें।