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(२०) प्राणशक्ति ऊर्जा उपचार सीखना क्या मुश्किल है ?
बिल्कुल नहीं। इसके लिए निम्न बातें होना चाहिए:-- अभ्यार्थी की उम्र १८ वर्ष से कम न हो। अधिकतम आयु कोई नहीं है। अभ्यार्थी जो सामान्य बौद्धिक क्षमता, ध्यान केन्द्रित करने की सामान्य योग्यता, खुला परन्तु उचित चुनाव करने वाला मन और एक सीमा तक
दृढ़ प्रतिज्ञ हो। (३) अभ्यार्थी का संकल्प हो कि उसे इस विद्या को सीखना है। (४) यह अधिक श्रेयस्कर होगा कि अभ्यार्थी इस विद्या को निःस्वार्थ व
परोपकार की भावना से सीखे। (२१) अभ्यार्थी किस प्रकार सीखे ? (क) इस पुस्तक के चौथे व पांचवे भाग के इस अध्याय ४ तक ध्यानपूर्वक
पढ़े, मनन करके एवम् चिन्तन करे। कम से कम चार-पांच दफे पढ़ें। (ख) यदि सम्भव हो सके तो किसी प्राणशक्ति उपचार प्रशिक्षण के केन्द्र में
ट्रेनिंग प्राप्त करें। इस केन्द्र से द्विहृदय पर ध्यान चिन्तन का ऑडियो टेप (Audio Tape) कदाचित् प्राप्त भी हो सकता है, अन्यथा जैसे इस भाग के अध्याय ३ में सुझाव दिया है कि इसका टेप स्वयं बना सकते
हैं। आप इस ध्यान को नियमित तौर पर कीजिए। (ग) वर्तमान में भारत में जो केन्द्र प्रस्तुतकर्ता की जानकारी में हैं, वह इस
अध्याय के बाद परिशिष्ट ५.०१ में दिये हैं, उनसे सम्पर्क कर सकते हैं। इसमें समय-समय पर संशोधन हो सकते हैं। आप सामान्य रोगों के उपचार से प्रारम्भ कीजिए उससे आपका आत्म-विश्वास बढ़ेगा। एक रिकार्ड रखें कि किस मरीज को क्या रोग
था, क्या उपचार किया गया और क्या परिणाम निकला। (ङ) रोगी के लिये और उपचारक के लिए निदेशों को विशेषतर पर देखें कि
उनका समुचित पालन किया जा रहा है।