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(१५) दर्द या रोग के लक्षण दुबारा जल्दी उभर आना
इसके कई कारण हो सकते हैं :(क) C यह E ठीक नहीं किया गया हो (ख) जिस रोगी के बाहरी आभा मण्डल में छेद हो, उसकी GS न की गयी
हो, इससे प्राणशक्ति रिसती रही हो। (ग) प्राणशक्ति को ऊर्जन के पश्चात ठीक से स्थिर न किया गया हो। (घ) गंदे जीव पदार्थ द्रव्य को फेंकने के लिये निस्तारण-इकाई (जैसे नमक
का घोल प्रयोग में नहीं लिया हो। समुचित E न हुआ हो, इससे रोगग्रस्त ऊर्जा वापस रोगी के शरीर में चली गयी हो। यदि रोगी अपने रोग को याद रखने का प्रयत्न करता है तो रोगग्रस्त
जीव पदार्थ रोगी की ओर आकृष्ट हो जाता है | (छ) यदि उपचारक अपने उपचार के परिणाम जानने को ज्यादा उत्सुक है,
तो प्रेक्षिपित प्राण ऊर्जा उससे समुचित तौर पर छूटती नहीं और दुबारा
उपचारक के पास आ जाती है। (ज) रोगी ऐसे गंभीर रोग से पीड़ित है जो बहुत तेजी से प्राणशक्ति को
ग्रहण करता है (जैसे कैंसर) या प्रक्षेपित प्राणशक्ति समुचित मात्रा में न
रही हो। ऐसे में रोगी का उपचार बहुत बार किया जाना चाहिए। (१६) कुछ रोगियों के ठीक नहीं होने के कारण
(क) उक्त (१५) में वर्णित कारण (ख) उचित प्राणशक्ति उपचार की कमी (ग) अधिक दफा इलाज की आवश्यक्ता होने पर पुन:--पुन: उपचार न
मिलना। (घ) अन्य प्रकार के इलाज की आवश्यक्ता, जैसे कुपोषण और समुचित
भोजन न करने से होने वाली बीमारियां।
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