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________________ भी ठीक होता है। इसके अतिरिक्त एक्यूपंचर, एक्यूप्रेशर, योगासन आदि का भी सहारा लेना चाहिए। कट्टरतावाद या किसी कार्य की अति करने से बचना चाहिए। (१२) प्राणशक्ति उपचार में इच्छाशक्ति कैसे करें जब आप “इरादा करते हैं, "इच्छा करते हैं तो आपको अपने मांसपेशियों में तनाव लाने या असाधारण मेहनत करने की जरूरत नहीं है। जितना ध्यान एक पुस्तक को पढ़ने में लगाया जाता है, उतना ही प्राणशक्ति के अथवा प्राणशक्ति के उपचार के विषय में लिखा गया है, उसमें आपका विश्वास या अंधविश्वास हो सकता है किन्तु आपसे यह उम्मीद या अपेक्षा अवश्य है कि जो भी नियम या पद्धतियां इस पुस्तक में बताई गयी हैं, उनको खुले और खोजी दिमाग से, पूर्ण रुचि के साथ उनकी योग्यता की जांच करें। (१३) पूर्णोपचार के समय के नियम भौतिक शरीर की तुलना में जीवद्रव्य शरीर के उपचार की गति तेज होती है। इस कारण से भौतिक शरीर को रोग ठीक होने के लिए कुछ समय लग सकता है। यह जैविक द्रव्य की टूट फूट या अव्यवस्था और रोगी की उम्र तथा उसकी शारीरिक स्थिति पर निर्भर करता है। (१४) पूर्ण उपचार में कितना समय लगता है यह इलाज की आवृत्ति, रोगी की उम्र, उसकी शारीरिक स्थिति, रोगी के इलाज ग्रहण करने की शक्ति, बाधक तत्वों की उपस्थिति या उपचार पूर्ण होने में रुकावट पैदा करने वाले सामान्य कारक, खराबी की मात्रा, रोग की प्रकृति, प्राणशक्ति उपचारक का ज्ञान व मनःस्थिति, रोगी से मिलने वाले सहयोग की मात्रा और कुछ केसों में अन्य सहायक इलाज (मैडिकल आदि) पर निर्भर करता है। साधारण और गंभीर रोगों के इलाज में लगने वाला समय कुछ मिनट से लेकर कुछ महीनों तक लग सकता है। लेकिन सभी रोगों का इलाज नहीं किया जा सकता। अनेक केसों में मैडिकल इलाज अधिक सफल नहीं पाया है तब प्राणशक्ति उपचार कारगर होता हुआ देखा गया है।
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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