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________________ (ग) यदि कोई भाग को जले कुछ घंटे या दिन हो गये हों, तो E, C' (उस जले भाग 1 ) जले भाग का समुचित ऊर्जन सुनिश्चित करें । (घ) जब तक जरूरी हो, सप्ताह में कई बार इलाज करें। उपक्रम (२४) गूढ़ और बोट- Contusion and Concussion (क) T (AP) (ख) कई दिनों तक प्रतिदिन तीन या चार बार यह इलाज दोहरायें । (ग) ठीक प्रकार इलाज होने से नीला या काला निशान नहीं रहेगा। (घ) यदि सिर पर गूमढ हो, तो शीघ्र ही मैडिकल डॉक्टर और उन्नत प्राणशक्ति उपचारक से मिलने के लिए कहें। उपक्रम (२५) कटे हुए और ज्वलनकारी घाव - Cuts and Inflamed Wounds (क) शीघ्र ही C ( नये, कटे घाव ) / E' (ख) यदि घाव में जलन हो, तो C' (AP) (५० से १०० बार तक ) / E (ग) उपचार की गति बढ़ाने के लिये 1 (घ) आवश्यकतानुसार दिन में दो या तीन बार इलाज दोहरायें। उपक्रम (२६) धूप से चमड़ी झुलसना - Sunburn (क) GS (३), क्योंकि रोगी और प्राणशक्ति की अधिकता या घनेपन से पीड़ित होता है । (ख) C (AP), जब तक रोगी समुचित या पूरी तौर से ठीक नहीं हो जाता । उपक्रम (२७) दाद-खाज एवं त्वचा की सामान्य एलर्जी- Eczema and Minor Skin Allergy (क) जब तक अच्छी तरह आराम नहीं मिलता, तब तक केवल T (AP) (ख) CL (आगे पीछे, दांये व बांये) (ग) T (6.1) ५.७५ ?
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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