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(ख) GS (३ से ५ बार) कर पूरे शरीर को अच्छी तरह साफ करें। (ग) C6 (३० या उससे अधिक बार) /E6f
बुखार की तेजी कम करने के लिए उक्त (ख) व (ग) महत्वूपर्ण हैं। सफाई पर ज्यादा ध्यान दें। पूरे शरीर और 6 की अच्छी तरह सफाई करें क्योंकि शरीर गंदी, लाल-गर्म प्राणशक्ति ऊर्जा से भर जाता है और
6 मटमैली लाल गर्म ऊर्जा से भर जाता है। (घ) कई केसों में GS और C-6 से ही बुखार कम हो जाता है। (ड) T(4, H, S), प्रतिरक्षा तंत्र को शक्तिशाली बनाने के लिए हाथ और पैर
की हड्डियों में सफेद प्रकाश या प्राणशक्ति अंदर जाती हुई की कल्पना कर सकते हैं। इससे भी H और s आंशिक रूप से उत्तेजित होकर उनकी वायु और भूमि प्राण ऊर्जा को सोखने की क्षमता बढ़ जायेगी। इससे धीरे-धीरे और स्थिर रूप से पूरा शरीर ऊर्जित होगा और रोगों से लड़ने के लिए समुचित प्राणशक्ति प्राप्त होगी। H और s में प्रेषित
प्राणशक्ति का स्थिरीकरण न करें। (च) T11 (छ) सर्दी और खांसी के साथ होने वाला बुखार प्रायः सांस के संक्रमण रोग ।
के साथ मिला होता है। यदि 9, 8, 8', 7 b और Lu प्रभावित हों, तो
इनका T करें। (ज) E1 न करें, क्योंकि इससे तापमान बढ़ जाता है। ES से 1 स्वयं ही
ऊर्जित हो जायेगा। इस विधि से अधिकांश रोगी एक घंटे में लाभ पाते हैं। कभी-कभी शुरू में तापमान बढ़ सकता है जो रोग के कीटाणुओं तथा सफेद रक्त कोशिकाओं के परस्पर तीखी झड़प के कारण होता है। इस बढ़े हुए तापमान को C 6 व GS द्वारा ठीक किया जा सकता है। उपचार की गति को तेजी देने के लिये दिन में दो से तीन बार उपचार करें। एक या दो दिन में ही रोगी ठीक हो सकता है।