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(८)
रोगी की सामान्य रूप से पूरी तरह झाड़-बुहार करके उग्र प्रतिक्रियाओं को या तो कम किया जा सकता है या रोका जाता
झाड़ बुहार प्राणशक्ति उपचार की एक बहुत ही प्रमुख पद्धति है जिसे आराम से सीखा जा सकता है। इससे सफाई होती है, ताकत मिलती है और उपचार की प्रक्रिया सरल बनती है। केवल झाड़-बुहार करने से ही कई छोटी-छोटी बीमारियों का उपचार किया जा सकता
(२) स्थानीय झाड़ बुहार
यह प्रभावित अंगों व चक्रों की वायवी सफाई को कहते हैं। इसके लिये अपने हाथों को संवेदनशील बनायें। फिर एक हाथ को फैलाकर तथा उसकी हथेली रोगी की ओर करें। अपनी संकल्पशक्ति से उसके प्रभावित अंगों एवम् चक्रों से अलग-अलग रोगग्रस्त एवम् उपयोग की हुई ऊर्जा को अपने हथेली में ग्रहण करके, नमक के पानी की ओर ऊपर बतायी हुई विधि से फैंके। जब तक आवश्यक हो, इस क्रिया को दोहराते रहें। सामान्य रोगों के लिए २० से ३० बार तक स्थानीय झाड़ बुहार करनी चाहिए। गम्भीर रोगों के लिए अधिक बार करनी पड़ेगी। ऊर्जन करना (Energization) झाड़-बुहार के पश्चात् साधारणतः प्रभावित चक्रों को अथवा अन्य चक्रों को ऊर्जित किया जाता है। बगैर सफाई किये किसी भी अंग/चक्र को ऊर्जित नहीं किया जाना चाहिए। यदि किसी प्रभावित अंग को भी ऊर्जित करना हो. तो सामान्यतः सम्बन्धित चक्र के माध्यम से किया जाता है, जब तक अन्यथा न निर्धारित हो। ऊर्जन करने के लिए, अपने हथेलियों को पुनः संवेदन कीजिए तथा अपनी सुविधानुसार अपने एक हाथ को फैलाकर उसकी हथेली ऊपर की ओर खुली रखें। अब आप अपनी संकल्प शक्ति से वातावरण से ऊर्जा इस हाथ के हाथ चक्र द्वारा ग्रहण करें तथा महसूस करें। फिर दूसरे हाथ के हाथ चक्र से रोगी के सम्बन्धित चक्र / अंग जिसको ऊर्जित करना हो, प्राणशक्ति ऊर्जा प्रेषित