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________________ (३) (५) जा सकता है। प्राणिशक्ति द्वारा पूरे शरीर को ऊर्जित करके स्वास्थ्य किरणों को और अधिक ताकतवर बनाया जा सकता है। स्वास्थ्य किरणों की उलझान को दूर करके और उन्हें ताकतवर बनाकर सुरक्षा कवच की तरह काम करने वाले स्वास्थ्य आभा मंडल को सामान्य बनाया जा सकता है। इससे व्यक्ति की रोग संक्रमण की प्रतिरोधी क्षमता बढ़ती है। झाड़ बुहार करने से बाहरी आभा मंडल के छिद्र अपने आप ही बंद हो जाते हैं जिनसे प्राणशक्ति बाहर रिसती है। बाहरी आभामंडल के छिद्रों को बंद नहीं करने से रोगी की प्राणशक्ति को ऊर्जित करने पर भी उपचार बहुत धीमे होता है, क्योंकि प्राणशक्ति इन छिद्रों से रिस जाती है। ऐसी स्थिति में होता यह है कि रोगी का उपचार करने के कुछ मिनट या कुछ घंटों बाद बद बीमारी दुबारा लौट आती है। झाड़ बुहार या सफाई करने के बाद रोगी में प्राणशक्ति को ग्रहण करने की शक्ति बढ़ जाती है। झाड़ बुहार का उपयोग इलाज किये गये एक अंग से इलाज के बाद बची हुई प्राणशक्ति को शरीर के दूसरे भाग तक पहुंचाने में भी किया जाता है। इससे प्राणशक्ति के घनेपन की भी समस्या नहीं रहती। झाड़-बुहार की प्रक्रिया द्वारा शरीर के आसपास के अंगों या चक्र या चक्रों से अतिरिक्त प्राणशक्ति को उन प्रभावित अंगों तक ऊर्जित करने के लिए भेजा जा सकता हैं जहां प्राणशक्ति की मात्रा कम होती है। जैसा कि उंगली के जोड़ के दर्द को सफाई करके और हाथ चक्र से अतिरिक्त प्राणशक्ति को झाड़-बुहार कर या प्रभावित उंगली तक उस अतिरिक्त प्राणशक्ति को भेजकर मिनटों में ही उसका इलाज किया जा सकता है। _____ (७) . . . -
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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