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________________ (घ) उक्त विधि (ख) और (ग) के वर्णानुसार इसी क्रम से पंक्ति २, ३, ४ और ५ पर दोहराएं। पंक्ति ५ के सहारे जब आप आयेंगे तो हाथ रोगी के दोनों तरफ से लाने पड़ेंगे। (ङ) अब पुनः समग्र दोनों प्रकार की प्रक्रियाओं को रोगी के पीछे की तरफ से दोहराएं। इसके लिए या तो आप रोगी के पीछे जाकर करें, अथवा रोगी के पीछे के भाग को अपने सामने दृष्टिकृत करते हुए करें, यह आपके सुविधा तथा अभ्यास पर निर्भर है। (च) ये समस्त सामान्य झाड़-बुहार की प्रक्रिया कितना दफा करना चाहिए. इसका उत्तर यह है कि जितनी दफा जरूरत हो, उतने बार करना चाहिए। (छ) रोगग्रस्त जीव पदार्थ को हटाने का संकल्प और पूरी विधि पर ध्यान केन्द्रित करना अति आवश्यक है, इसके बिना यह प्रक्रिया कम प्रभावशाली होती है। कभी-कभी केवल इसी प्रक्रिया से रोगी को आराम मिल जाता है। इस प्रक्रिया से कुछ रोगी को कभी-कभी नींद आ सकती है। ऐसी दशा में उसको जगाए बिना आप अपनी विधि पूरी कीजिए। सामान्य झाड़-बुहार से निम्नलिखित परिणाम प्राप्त होते हैं:(१) यह घने और रोगग्रस्त जीवद्रव्य पदार्थ को साफ करता है। अवरुद्ध हुए शिरोबिंदु और जीवद्रव्य नाड़ियां साफ की जाती हैं और उनकी उलझन को दूर किया जाता है। इससे उपचार की प्रक्रिया पूरी करने के लिए प्राणशक्ति को शरीर के एक भाग से ले जाकर बीमार अंग तक पहुंचाया जा सकता है। (२) प्रदूषित व बेकार पदार्थ, रोगाणु और रोगग्रस्त जीवद्रव्य पदार्थ को शरीर से दूर करके स्वास्थ किरणों की उलझन को ठीक किया जा सकता है और उन्हें आंशिक रूप से ताकतवर बनाया ५.५३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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