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चक्र और हृदय चक्र के मामले में, क्योंकि स्त्रियों में ये चक्र उनके जननांग एवं यौवनांगों के पास अथवा उसी पर अवस्थित होते हैं। पुरुषों में भी कामचक्र, पैरिनियम चक्रादि के विषय में भी यह लागू होता है। इसके लिए आपको अपने हाथों की संवेदनशीलता के बढ़ाने का निरन्तर अभ्यास करना होगा ताकि आप दूर से ही रोगी के इन चक्रों को अपने दोनों हाथों में लेकर महसूस कर सकें। यदि आप इसमें प्रारम्भ में असफल होते हैं, तो कोई घबड़ाने की बात नहीं है। आपको धैर्यपूर्वक अपना संवेदनशीलता का अभ्यास जारी रखना पड़ेगा और यदि आपने दृढ़तापूर्वक निश्चय कर लिया है कि आपको इसमें सफल होना ही है, तो कोई कारण नहीं कि आप सफल न हों, किन्तु हो सकता है कि इसमें कुछ दिन अथवा कुछ सप्ताह लग जायें। इस स्थिति में आपको उक्त (घ) में दी गयी विधि का भी अनुसरण नहीं करना पड़ेगा बल्कि आपके केवल सोचने मात्र से आपके हाथ
संवेदनशील हो जायेंगे। (६) जांच करने में जितनी आपको दक्षता प्राप्त होगी, उतना ही आप
सक्षम एवम् कुशल उपचार कर सकेंगे। यह उतना ही आवश्यक है जितना चिकित्सक के लिये मर्ज का निदान करना अथवा किसी मोटर वाहन के चालक के लिये स्टीयरिंग का नियंत्रण करना। यदि रोग का निदान ही न होगा, तो रोग कैसे ठीक होगा और मोटर वाहन का यदि स्टीयरिंग नियंत्रित न हुआ तो वाहन
सही दिशा में कैसे चलेगा। (च) आंतरिक आभा की जांच से प्राप्त परिणामों की व्याख्या (१) प्राणशक्ति की कमी- यह प्राणशक्ति की कमजोरी या शिथिलता के
कारण पैदा होती है। इस प्रकार से प्रभावित अंग में प्राणशक्ति या तो कमजोर होती है या फिर समुचित प्राणशक्ति नहीं होती है। प्राणशक्ति के कमजोर होने पर प्रभावित ऊर्जा चक्र भी कमजोर हो । जाते हैं और गंदे बीमार जीवद्रव्य से भर जाते हैं।
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