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________________ कल्पातीत विमान इनमें स्थित देवों को अहमिन्द्र कहते हैं. ये सभी देवियों रहित होते हैं। |नाम विवरण | स्थिति | विमानों ! जघन्य उत्कृष्ट ऊँचाई | लेश्या | जीवों की | की आयु आयु संख्या संख्या प सुपर हाथ मध्यम शुक्ल - जघन्य ग्रेवेयक अमोघ सुप्रबुद्ध यशोधर । सुभद्र सुविशाल कुछ अधिक | २३ | २२ सागर | सागर । "२३ सा. | २४ सा. "२४ सा. | २५ सा. "२५ सा. | २६ सा. | २ हाथ "२६ सा. | २७ सा. "२७ सा. | २८ सा. मध्यम ग्रेवेयक १०७ सुमनस “२८ सा. उत्कृष्ट ग्रेवेयक सौमनस प्रीतिंकर "२६ सा, | ३० सा. "३० सा. | ३१ सा. आनत प्राणत आरण अच्युत नव ग्रैवेयक नव अनुदिश विजय वैजयन्त जयन्त अपराजित इन २६ कल्पों में प्रत्येक कल्प के देवों का प्रमाण पल्य के असंख्यातवें भाग है। यह प्रमाण सामान्य से है. किन्तु विशेष रूप में उत्तरोत्तर-- आरणादिक में संख्यातगुणा हीन है। अच्युत स्वर्ग के ऊपर एक राजू ऊँचाई नव अनुदिश 'विमान । उत्कृष्ट " ३१ सा. | ३२ सा. | १ हाथ शुक्ल अन्तर्गत विजय, वैजयन्त, पांच जयन्त, अनुत्तर | अपराजित विमान एक समय अधिक ३२ | ३३ सा. सागर " " सर्वार्थ ३३ सागर ३३ सा. संख्यात** सिद्धि योग ३२३ १.४०
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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