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(ख) अपने ऊर्जा का स्तर बढ़ायें
(१) अपने जीभ के नॉक को अपने तालु से लगायें या चिपकायें।
(२) मुस्कराने से भी ऊर्जा स्तर बढ़ता है। (ग) रोगी की प्राणशक्ति ग्राह्यता बढ़ायें (१) यदि रोगी आराम से है, तो उपचार को अच्छी तरह ग्रहण कर
सकता है। यदि वह इस प्रकार के उपचार को प्रतिकूलता की दृष्टि से देखता है, अथवा उपचारक को नापसन्द करता है या ठीक होना ही नहीं चाहता हो, तो प्राण-उपचार में काफी कठिनाई आती है। उसके प्रतिरोध को कम करने के लिए, उसके साथ तालमेल बैठाइये, उसकी ओर देखकर मुस्कराइये, शालीनता व भद्रता से पेश आइये! यदि वह इस उपचार के विषय में कुछ न जानता हो, तो संक्षेप में साफ-साफ इसके बारे में उसको बताएं। उसको कहिए कि यदि वह इस उपचार को स्वीकर न करता हो, तो कम से कम इसे अस्वीकार भी तो न करे और तटस्थ रहे। यदि ऐसा कुछ नहीं होता हो और उसका प्रतिरोध सबल हो, तो
उपचार न करें। (२) रोगी के लिए जो क्रम (४) में दिये है. उनका रोगी द्वारा पालन
सुनिश्चित करें। (घ) हाथों को संवेदनशील बनाना- (sensitization of Hands)
ऊर्जा आभा को जांचने के लिए हाथों को संवेदनशील बनाने की आवश्यकता होती है, जो हाथ के चक्रों को सक्रिय एवम् ऊर्जित करके किया जाता है। इसको निम्न प्रकार करें:(१) अपने दोनों हाथों को अपने सामने एक-दूसरे के सामने ढाई-तीन
इंच की परस्पर दूरी पर समानान्तर रखिये। तनाव में न रहें, आराम से रहें।