________________
(६) अगर उसे भारीपन, सिरदर्द, कमजोरी अथवा अन्य कोई एहसास
हो, तो तुरन्त उपचारक से कहे। उपचार की समाप्ति की प्रतीक्षा
न करे। (७) कोई भी बात जो बीमारी से ताल्लुक रखती हो, उपचारक से
कहें। (घ) उपचार के पश्चात्
ईश्वर को पुनः नमन करते हुए, उसके आशीर्वाद के लिए धन्यवाद दे। सावधानी उपचारित अंग पर लगभग बारह घंटे तक पानी न डाले। इसका यह भी मतलब है कि बारह घंटे तक स्नान नहीं करना चाहिए। जो रोगी गंभीर बीमारियों से पीड़ित हैं या अधिक कमजोर हैं, उनके लिए यह प्रतिबन्ध चौबीस घंटे का है। यह निर्देश इस कारण से है कि प्राणिक ऊर्जा को शरीर के अन्दर शोषित होने में समय लगता है और उससे पहले पानी के सम्पर्क में आने पर, वह ऊर्जा पानी में घुलकर बह जाती है, जिससे रोगी का
समुचित उपचार नहीं हो पाता। (च) अपने रोग को याद रखने का अथवा लगातार याद रखने का प्रयत्न न
करे। ऐसी दशा में रोगग्रस्त जीवद्रव्य पदार्थ रोगी की ओर आकृष्ट हो जाता है, जिससे रोगी का समुचित इलाज होने पर भी रोगी ठीक नहीं
हो पाता। (छ) साधारण निर्देश (१) मांसाहारी भोजन, अंडे, शराब, धूम्रपान, तम्बाक नशीले पदार्थ और
भ्रम-उत्पादक (hallucination) पदार्थ (जैसे अफीम, भांग) के सेवन
से बचें। (२) अपने दैनिक प्रयोग में चमड़े आदि हिंसा से उत्पन्न हुई वस्तुओं
जैसे बटुआ, बैल्ट आदि का उपयोग न करें।