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________________ को प्रकाशित हुआ, का हिन्दी रूपान्तर है। कुछ अंग्रेजी के शब्दों की सही हिन्दी न बन पाने के कारण, उनका उल्लेख यथावत कर दिया गया है) जब आप किसी अच्छी पुस्तक (या दूरदर्शन अथवा चलचित्र ) में मग्न हो जाते हैं, तो कदाचित् आप मस्तिष्क की अल्फा (Alpha ) दशा में होते हैं। इस दशा में आप उस समय इतने मग्न हो जाते हैं कि आपके आसपास जो घटित होता है, उसका आपकी चेतना में कोई संज्ञान नहीं आ पाता । अल्फा प्रतिभायुक्त ज्ञानोपार्जन (superlearning) सीखने की योग्यता तथा अधिक सूचनाओं की विधि, स्टोर तथा स्मरण करने की शीघ्रता तथा सक्षमता पूर्वक प्रक्रियाओं से सम्बद्ध होता है। इसी कारण आप देखे हुए पुस्तक अथवा चलचित्र की कहानी आसानी से विस्तारपूर्वक बता सकते हैं। इससे धीमी दशा थीटा की तरंगों (theta waves) की होती है। यह नींद में स्वप्न देखते समय मस्तिष्क की तरंगों की दशा में होती है । किन्तु इसके अतिरिक्त यह अन्य लाभप्रक दशाओं से भी सम्बध होती है, जिसमें सृजनात्मक रचना की वृद्धि, कुछ प्रकार के प्रतिभायुक्त ज्ञानोपार्जन (superlearning), स्मरण शक्ति की तीव्रता हो जाने की योग्यता और सकारात्मक समग्र (integrated) अनुभव (जिसमें हम अपने आपको व दूसरों को देखने में अथवा विशेष प्रकार की जीने की दशा में सकारात्मक परिवर्तन करते हैं) सम्मिलित हैं। यह मस्तिष्क की वह स्थिति है जब बांया मस्तिष्क विश्राम करता है और किसी समस्या के अंतर्ज्ञान प्रक्रिया द्वारा निदान करने में आपके दांये मस्तिष्क के कार्य में कोई हस्तक्षेप नहीं करता। यही कारण हैं कि इस दशा में, अत्यन्त जटिल समस्याओं को सुलझाने के सरल कार्यप्रणाली सम्बन्धी विचार अचानक ही हमें आ जाते हैं। इस दशा में अवस्थित रहने से हमारी सोचने की प्रक्रिया की प्रभावी शक्ति बढ़ती है और इस कारण से बुद्धिमान लोग यह परामर्श देते हैं कि अपने कठिन समस्याओं के सही निदान के लिए, उस पर 'सो जायें । सबसे महत्त्वपूर्ण बात यह है कि थीटा ( Theta) तरंगें अत्यधिक तनाव से छुटकारा भी दिलाते हैं। In the slower theta brain wave pattern (अधिक धीमे मस्तिष्क के थीटा तरंगों के नमूने / साँचे की दशा में), मस्तिष्क काफी मात्रा में endorphins (एक रासायनिक पदार्थ) उत्पन्न करता है, जिसमें समस्त तनाव के Pattern घुल (dissolve ) जाते हैं, जिसके फलस्वरूप आप अपने को तरोताजा और प्रसन्न पाते हैं। ५.३३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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