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नकारात्मक निम्न भावनाओं को नियंत्रित रखने में सहायता मिलती है। निम्न भावनात्मक ऊर्जा को उच्च भावनाओं में परावर्तित होने में भी सहायता मिलती है।
शरीर के अन्दर छोटे-छोटे रोग स्वयमेव ही ठीक हो जाते हैं। (७) शरीर का प्रतिरक्षात्मक तंत्र मजबूत होता है। (c) जीवन में उन्नति करने की योग्यता बढ़ती है। (६) नकारात्मक कमों के फल में सम्भावित कमी होती है। (१०) भावनात्मक और मानसिक स्थिरता बढ़ती है, छठी इन्द्रिय की शक्ति
(intuitional power) भी बढ़ती है। (११) अपने अन्दर प्रकाश का प्रदीपन एवं दैवी आनन्द की अनुभूति प्राप्त होने
में सहायता मिलती है। (१२) इसका समग्र रुप से (integrated) लाभप्रद प्रभाव होता है। (१३) इसका उद्देश्य अन्न न ई आन्तरिक प्रदीपन की प्राप्ति है, जिसमें
यह सहायक होता है। इसके अतिरिक्त यह विश्व सेवा का भी एक रूप
है, जिसमें सर्व जीवों के प्रति मैत्री भाव व्यक्त होता है। (ख) प्राणशक्ति उपचारक के लिए
उपरोक्त लाभों के अतिरिक्त (१४) उपचार शक्ति में वृद्धि होती है। (१५) रोगी से ग्रहण की हुई रोगग्रस्त ऊर्जा, प्राणशक्ति उपचारक के शरीर
से पृथक हो जाती है। (घ) ध्यान मार्ग में प्रयाण- एक वैज्ञानिक विश्लेषण
Moving into Meditation- A Scientific Analysis
(यह लेख सुश्री वीना मेहरोत्रा द्वारा प्रस्तुत अंग्रेजी भाषा के लेख, जो हिन्दुस्तान टाइम्स, लखनऊ नामक दैनिक अंग्रेजी समाचार पत्र में दिनांक 17.8.2004