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आशीर्वाद दें।, . . . . . . . . . . . . . . . . फिर अपने धार्मिक गुरुओं के प्रति श्रद्धा, भक्ति भाव से नमन करें व उनके आत्मिक उत्थान एवम् निर्वाण प्राप्ति की कामना करें। . . . . . . . . . . . . . . . . फिर अपनी संस्थाओं आदि को प्रेम, शान्ति, प्रचुरता, सद्भावना और उत्थान का आशीर्वाद दें। . . . . . . . . . . . . . . . . . फिर अपने घर, कुटुम्ब, स्नेहीजनों को प्रेम, शांति, सहिष्णुता, प्रचुरता और आत्मिक उत्थान का आशीर्वाद दें। . . . . . . . . . . . . . . . . इसके अतिरिक्त जिनको आपकी जरूरत हो व उपचार की जरूरत हो, उनको आशीर्वाद दे। . . . . . . . . . . अब अपने हाथों को नीचे ले आइये। , . (ज) धन्यवाद देना
ध्यान-चिन्तन के बाद दैवी आशीर्वाद तथा ईश्वर की कृपा के लिए उसको अवश्य धन्यवाद दें।
"हे सर्वशक्तिमान ईश्वर, दिव्य ज्ञान, प्रेम और शक्ति के स्रोत, हम आपको दैवीय आशीर्वाद प्रदान करने के लिए धन्यःई हैं। हम आपको बैदीय सुरक्षा मार्गदर्शन, सहायता और प्रदीपन के लिए धन्यवाद देते हैं।
धन्यवाद सहित और पूर्ण श्रद्धा भाव सहित ।", . . (झ) अतिरिक्त ऊर्जा की और अधिक निकासी
अपने पैर के तलुवों से और अपनी रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से प्रकाश का भूमि के अन्दर लगभग दस फीट तक प्रेषण करें जो वहां पड़ी हुई बर्फ की सिल्लियों में समा रही है। इसका दृश्यीकरण भी करें। . . . . . . . . . . . . . . . . .
____ अब अपनी आंखों को मुस्कुराते हुए खोलिए। आशा है कि आपका ध्यान-चिन्तन अद्भुत हुआ होगा। अब अपने सिर की खोपड़ी की सूखी मालिश कीजिए। फिर अपने यकृत और गुर्दो को थपथपाइये। इससे ध्यान-चिन्तन के दौरान जो अतिरिक्त ऊर्जा यहाँ जमा हो जाती है, निकल जाती है। अब अपने बांहों की, पैरों की व शरीर के अन्य अंगों की सूखी मालिश कीजिए।
सावधानी -. चूंकि यह आशीर्वाद अत्यधिक शक्तिशाली होता है, इसलिये शुरू में ही किसी अर्कले व्यक्ति व कुटुम्ध को देना उसके लिये असह्य हो सकता है।