________________
(च) प्रकाशन या प्रदीपन प्राप्त करना
अब आप एक अत्यधिक चमकता हुए सफेद सितारा, जिसका तेज करोड़ों सूर्य से भी अधिक हो, अपने सिर के ऊपर ब्रह्म चक्र के स्थान पर दृश्यीकृत करें इसकी ओर देखकर मुस्कराइये तथा गौर से देखिये । ध्यान से देखने पर आप पायेंगे कि यह साक्षात ॐ अक्षर है, साक्षात परमात्मा है। इसकी ओर प्रेम, श्रद्धा, विनय एवम् भक्ति भाव से देखें। अपने आपको स्थिर कीजए, अपने आपको संवेदनशील रखिए और प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा कीजिए
.(यहाँ काफी समय तक प्रतीक्षा कीजिए)
अपने सिर के ऊपर विराजमान ॐ पर लगातार अपना ध्यान केन्द्रित करना जारी रखिए आप ओम् शब्द का मानसिक तौर पर (अथवा यह कठिन लगे, तो जोर से) उच्चारण कीजिए और दो ओम् के बीच की शान्ति के समय में ओम् में प्रतिष्ठित पंच परमेष्ठियों पर ध्यान दीजिए। ओम् का उच्चारण ओऽम्.. ................ होना चाहिए, अर्थात इसका लम्बा उच्चारण अधिक से अधिक समय तक जब तक आपकी साँस खाली न हो जाये, तब तक करना चाहिए। फिर उससे कुछ समय बाद तक शान्ति रखिये। पुनः इसी प्रकार ओम् का उच्चारण और शांति। इस प्रकार कुल मिलाकर इक्कीस बार ओम् का उच्चारण तथा उनके अन्तराल में बीस बार शांति। अन्तिम बार ओम् के उच्चारण के पश्चात एक काफी लम्बी शान्ति रखिये. .
. . . . . . . . . . . लगभग पांच मिनट तक। (छ) अतिरिक्त ऊर्जा का त्याग
__अपनी आंखें बन्द रखते हुए ही, धीरे-धीरे अपनी सामान्य शारीरिक जागृति की संवेदनशीलता लाइयेगा। धीरे-धीरे अपनी उंगलियों को चलाईये। कल्पना कीजिए कि एक चमकीला रोशनी का द्रव (liquid) आपके सिर के ऊपर से नीचे आपके अन्दर
'अरिहंत, सिद्ध, आचार्य उपाध्याय, सर्व साधु- ये जो पंच परमेष्टी हैं. इनके अरिहन्त, अशरीर, आचार्य, उपाध्याय व भनि नाम भी पर्यायवाची हैं। अब प्रत्येक नाम से प्रथम लेकर अ.अ.आ.उ और म अक्षर प्राप्त होंगे। व्याकरण के अनुसार अ+अ आ, आ+आ-आ. आ+3= ओ होता है। इस प्रकार अ+अ+आ+उ+म= आ+आ+उ+म- आ-उ+म= ओ+म = ओम् होता है, जिसको मात्र एक अक्षर ॐ द्वारा भी प्रतिपादित किया जाता है।
५.२८