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समस्त विश्व को अत्यधिक आनन्द एवम् दैवीय शान्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो। समस्त विश्व को समझदारी, सहिष्णुता, सद्भावना का आशीर्वाद प्राप्त हो और सत्कार्य के लिए प्रेरणा प्राप्त हो। सो ऐसा ही हो, .. . . . .ऐसा ही हो, . . . .ऐसा ही हो।"
आप अपने ब्रह्म चक्र से विश्व को निरन्तर आशीर्वाद देते रहिए, देते रहिए और मुस्कराइये। फिर पुनः आशीर्वाद दीजिए कि ईश्वर की कृपा से सभी प्राणियों के हृदय आनन्द, प्रसन्नता और दैवी शांति से भरें।.
. . . . . . . . ईश्वर की कृपा से सभी प्राणियों के हृदय समझदारी, सद्भावना, सहिष्णुता से भरें और उन्हें सत्कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त हो।. . . . . . . . . . . . . . . . सो ऐसा ही हो. . . . . . . . . . . . . . . . . ऐसा ही हो, . . . . . . . . . . . . . . . . ऐसा ही हो . . . . . . . . . . . . . . .। (ङ) हृदय चक्र और लय चक्र से सम्मिलित आशीर्वाद
अब आशीर्वाद को और अधिक शक्तिशाली बनाने के लिए, यह दृश्यीकृत कीजिए कि दोनों चक्रों अर्थात हृदय एवम् ब्रह्म चक्रों से एक सुनहरे रंग की दैवी ऊर्जा विश्व की ओर जाकर, उसे चारों ओर से लपेट रही है। यह भावना आयें कि
समस्त विश्व को प्रेम व करुणा का आशीर्वाद प्राप्त हो। समस्त विश्व को अत्यधिक आनन्द एवम् दैवीय शान्ति का आशीर्वाद प्राप्त हो। समस्त विश्व को समझदारी, सहिष्णुता, सद्भावना का आशीर्वाद प्राप्त हो और सत्कर्म के लिए प्रेरित हो।, . . . . . . . . . . . . . . सो ऐसा ही हो.. . . . . . . . . . . . . . . ऐसा ही हो, . . . . . . . . . . . . . ऐसा ही हो।"
आप अपने दोनों उक्त चक्रों से विश्व को निरन्तर आशीर्वाद देते रहिए. . . . . . . . . . . . . . . . . . देते रहिए एवम् मुस्कराइये। फिर पुनः आशीर्वाद दीजिए कि ईश्वर की कृपा से सभी प्राणियों के हृदय आनन्द, खुशी और दैवी शांति से भरें।, . . . . . . . . . . . . . . . ईश्वर की कृपा से सभी प्राणियों के हृदय समझदारी, सद्भावना, सहिष्णुता से भरें और उन्हें सत्कार्य करने की प्रेरणा प्राप्त हो। . . . . . . . . सो ऐसा ही हो.... ऐसा ही हो, ..... ऐसा ही हो। ........