SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 496
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चिड़चिड़ापन और क्रूरता | नकारात्मक और विचार सकारात्मक और अच्छी भावनायें नकारात्मक और बुरी भावनायें । अब आप आगे आन्तरिक चिन्तनों का एक क्रम महसूस करने जा रहे हैं। ! इसके लिए सर्वप्रथम अहिंसा और दया के गुणों का विचार मंथन कीजिए । ७. दया ८. सकारात्मक और सृजनात्मक विचार 19. ८. चुराया है जिसका कोई दूसरा हकदार था ?. मानसिक रूप से उनसे क्षमा मांगे ६. आप अपना स्वयं का आंतरिक निरीक्षण कीजिए कि क्या आपने किसी को शारीरिक तौर पर कष्ट दिया है? स्मरण कीजिए कि क्या आपने अपने वचनों अथवा प्रतिक्रिया से किसी को दुःख दिया है ?..... क्या आप अन्य व्यक्तियों के प्रति हानिकारक एवम् नकारात्मक भावनाओं को पनपा रहे हैं? यदि हाँ, तो उन सभी से जिनको आपने शारीरिक, वाचनिक एवम् प्रतिक्रियात्मक कष्ट दिये हैं, मानसिक रूप से क्षमा मांगे. .1 आप निश्चय करें कि आज से सभी जीवों पर जो आपके सम्पर्क में आते हैं, उनसे दया का व्यवहार करने का अभ्यास करेंगे। इस निश्चय को दृढ़ करने के लिए, जिन्होंने आपको कष्ट दिया है उनको क्षमा करते हुए आप स्वयं का दृश्यीकरण करें। उनको आप जीवन की श्रेष्ठ उपलब्धियों का आशीर्वाद दीजिए ।. जिनको आपने कष्ट दिया है, उनके द्वारा आपको क्षमा । इस प्रदान करते हुए अपना स्वयं को दृश्यीकरण करें। प्रकार के अनुभव को गहराई से ग्रहण करें.. ५.२४ हानपूर्वक दूसरे, उन सभी घटनाओं का स्मरण कीजिए, जब आपने दूसरों की दृश्यमान एवम् अदृश्यमान वस्तुओं को ग्रहण कर लिया है। क्या आपने विचारों आदि की चोरी की है?. दूसरे की चीजों, कीर्ति, क्या आपने उस प्रेम को यदि हां, तो निश्चय कीजिए कि आप किसी की कोई वस्तु कीर्ति आदि नहीं लेंगे जो आपकी नहीं है। . निश्चय कीजिए कि आप उदारता का व्यवहार करेंगे और आवश्यक्तानुसार लोगों / जीवों की सहायता करेंगे. I
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy