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________________ (ग) हृदय चक्र को उत्तेजित करना आप गहरी श्वांस लेते रहिए और अपने शरीर को आराम करने अथवा ढीला छोड़ दें। इस आराम की अनुभूति/ ढीलापन (relaxation) का बहाव सिर के ऊपर से मस्तिष्क में आने दीजिए और उसको महसूस कीजिए . . . . . . . . . . . . . . . ., फिर मस्तिष्क के पिछले भाग से रीढ़ की हड्डी के नीचे अन्तिम छोर तक. . . . . . . . . . . . ., फिर सिर के ऊपर से अपने माथे पर आने दीजिए ... ., फिर आंखों पर. . . . . . . . . . . . . . . . फिर नाक, गालों और तमाम चेहरे पर. . . . . . . . . . . . . . . ., फिर गर्दन पर. . . . . . . . . . . . . . . ., फिर कंधे और बांहों पर. . . . . . . . . . . . . . . ., फिर सीने में. . . . . . . . . . . . . . . .. फिर उदर में, . . . . . . . . . . . . . . ., फिर कंधों से लेकर नीचे पीछे समग्र पीठ पर. . . . . . . . . . . . . . . ., फिर जांघों, घुटनों, पैरों और तलवों तक. . . . . . . . अब आप पूर्णरूपेण आराम की स्थिति में आ गये। अपने को अच्छा महसूस कीजिए। अब आप आरामपूर्वक सांस लेते हुए एवम् निकालते हुए निम्नलिखित को ग्रहण करें तथा निकालें। सांस लेते हुए ग्रहण करें | १. | ताजा और स्फूर्तिदायक ऊर्जा सांस निकालते हुए बाहर निकालें । | रोगग्रस्त एवम् प्रयोग हुई ऊर्जा | २. | जीवन के समस्त दर्द और कष्ट | २. | अच्छा स्वास्थ्य | ३. | आरामदायक एवम् थकान मिटाने वाली | ३. | तनाव और थकान ऊर्जा | ४. | मैत्रीभाव और क्षमाभाव | ४. | घृणा और रोष |५. | शांति और विश्वास ५. । भय और चिन्तायें प्रसन्नता ६. उदासी और मायूसी
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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