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________________ (घ) (9) (२) (3) (4) जब तक मन के अंदर में क्षमा के भाव नहीं आते, तब तक इस पूरी प्रक्रिया को बार-बार दोहराते रहें । दया के नियम का प्रयोग करें। इसके लिए (9) पीड़ितों तथा अन्य जरूरतमंदों व्यक्तियों / पशुओं जो करुणा के पात्र हैं, की सहायता के लिए अपनी आय का एक निश्चित भाग दान करें ।। (2) (3) जीव जंतुओं पर दया व करुणा भाव रखें। दूसरों को दुःखी करने एवम् निर्दयी होने से स्वयं को बचाएं । दूसरों के प्रति अपना बावहार मृतु रखें। अध्याय -- प्राण ऊर्जा के उपयोग APPLICATIONS OF PRANIC ENERGY प्राण ऊर्जा का उपयोग निम्न क्षेत्रों में किया जा सकता है: रोगग्रसित व्यक्ति के शारीरिक रोगों का उपचार। रोगग्रसित व्यक्ति के मनोरोगों का उपचार | आन्तरिक अंगों का शुद्धिकरण । (४) सम्पूर्ण रक्त का शुद्धिकरण । (५) रोगी अथवा नीरोग व्यक्ति की प्रतिकार क्षमता को दृढ़ करना अथवा बढ़ाना। (६) स्व-प्राण चिकित्सा ( स्वयं के रोगों की चिकित्सा) । ५.११ २ *
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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