SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 477
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ यदि रोगग्रस्त ऊर्जा को रोगी से बगैर निकाले हुए, ऊर्जन किया जाये, तो रोगी की हालत खराब हो सकती है। इसको मौलिक प्रतिक्रिया (radical reaction) कहते हैं। इसलिये पहले रोगग्रस्त ऊर्जा की अच्छी तरह सफाई करना चाहिए। (१०) प्राणशक्ति उपचार के लिए यह आवश्यक है कि रोगी इस प्रकार के उपचार के लिए ग्रहणशील ( receptive) हो, अथवा कम से कम तटस्थ हो । यदि रोगी अपना स्वयं का उपचार करवाना ही न चाहे, अथवा उपचारक के प्रति कुण्ठित हो, अथवा प्राणशक्ति उपचार को सन्देह की दृष्टि से देखें या इसको गलत समझे, अथवा किसी भी वस्तु आदि को ग्रहण करने के प्रति विरोध करता हो तो उस व्यक्ति का प्राणशक्ति उपचार संभव नहीं है। (११) प्राणशक्ति ऊर्जा जो रोगी को प्रेषित की जाती है, उसकी वहाँ से रिसने की प्रवृत्ति होती है। इसको रोकने के लिए उसको वहाँ स्थिर करने (stabilize) की आवश्यकता होती है। इसके लिए घड़ी की दिशा में तीन बार हाथ को ऊर्जित किए हुए चक्र अथवा अंग की ओर करते हुए, स्थिर हो ( stabilize) को तीन बार कहते हुए, घुमाना चाहिए तथा इसकी इच्छाशक्ति करनी चाहिए । ततपश्चात् प्रेषित की हुई ऊर्जा को सील (seal) करने के लिए हल्के नीले रंग की ऊर्जा (जिस रंग की ऊर्जा आगे अध्याय ८ के अन्तर्गत चित्र ५.०२ में हल्के नीले रंग से दर्शायी गयी है) द्वारा इच्छाशक्ति से चित्रित (paint) करते हुए करना चाहिए। यदि ऐसा न किया गया, तो प्रेषित की गयी ऊर्जा के रिसाव (leakage) का भय बना रहता है । (क) उक्त ऊर्जा के स्थिरीकरण की प्रक्रिया या तो उपचार के अन्त में सभी ऊर्जित किये हुए अंगों / चक्रों पर करना चाहिए अथवा उपचार के अन्तराल में जैसे-जैसे अंग / चक्र ऊर्जित किये जायें, वैसे-वैसे प्रेषित की गई ऊर्जा का स्थिरीकरण करते रहिए । स्थिरीकरण न करने की दशा में, तीस मिनट बाद ऊर्जा के रिस जाने की सम्भावना हो जाती है। (ख) उपचार के दौरान, यदि किसी अंग / चक्र का ऊर्जन करने के बाद, पुनः दुबारा या अनेक बार ऊर्जन करना हो, अथवा स्थानीय झाड़ बुहार करना हो, अथवा ५.५ I ·
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy