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________________ ७. सफाई और ऊर्जन का सिद्धान्त- Principle of Cleansing and Energising उपचार करने में मात्र प्राण ऊर्जा देना पर्याप्त नहीं है, रोगग्रस्त ऊर्जा को हटाना भी आवश्यक है। रोग ग्रस्त ऊर्जा को हटाना सफाई (Cleansing) कहलाती है। किसी रोगी या वस्तु को प्राण ऊर्जा देना ऊर्जन (Energising) कहलाता है। उपचार की गति को सफाई और ऊर्जन के सिद्धान्त को लागू करके बढ़ायी जा सकती है। ८. मौलिक प्रक्रिया का सिद्धान्त- Principle of Radical Reaction यदि रोग ग्रस्त ऊर्जा को बगैर हटाये हुए ऊर्जन किया जाता है, तो एक ऐसी विषम स्थिति आ सकती है जिसमें अस्थायी तौर पर रोगी की हालत बिगड़ जाती है । इसको मौलिक प्रतिक्रिया कहते हैं। अच्छी प्रकार से सफाई करने पर इससे बचा जा सकता है अथवा कम किया जा सकता है। ६. ग्रहण करने का सिद्धान्त- Principle of Receptivity प्रेषित की गयी (projected) प्राण ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए रोगी को ग्रहणशील (receptive) अथवा कम से कम तटस्थ (neutral) होना चाहिए। Relax (ढीला होना, तनाव कम होना, आराम करना) करने से भी ग्रहणशीलता का स्तर बढ़ता है। बगैर ग्रहणशीलता के प्रेषित की गयी ऊर्जा को ग्रहण एवम् अवशोषण (सोखा) नहीं किया जा सकता अथवा बहुत ही कम ऊर्जा अवशोषित हो पाएगी। रोगी के ग्रहणशील न होने के कारण उसके इस प्रकार के उपचार के प्रति गलत धारणा का होना अथवा उपचारक के प्रति नापसन्दगी अथवा ठीक न होने की भावना अथवा किसी के भी प्रलि ग्रहणशीलता का म होना हो सकता है। १०. स्थिरीकरण का सिद्धान्त- Principle of stabilizing प्रेषित की गयी प्राण ऊर्जा के रिसने (leak out) की प्रवृत्ति होती है, अगर उसका स्थिरीकरण न किया गया हो तो। स्थिरीकरण करने की विधि आगे भाग ५ के अध्याय १ के अन्तर्गत क्रम (ख) (११) में दी गयी है। यदि स्थिरीकरण न किया जाए, तो ऊर्जा के रिस जाने के फलस्वरूप रोग के लक्षण पुनः उत्पन्न हो जाते हैं। ४.६९
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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