________________
2. व्यापकता का सिद्धान्त- Principle of Pervasiveness
जीवन-शक्ति (Life Force) अथवा ओजस्वी ऊर्जा (Vital energy) हमारे चारों ओर सर्वत्र विद्यमान है। यह व्यापक है, वास्तव में हम सब इसके महासागर में हैं। इस सिद्धान्त से, उपचारक ( healer) आसपास से जीवन शक्ति की प्राण ऊर्जा ले सकता है और रोगी को बगैर अपने को थकाये हुए दे सकता है।
३. रोग ग्रस्त ऊर्जा का सिद्धान्त - Principle of Diseased Energy
रोग न सिर्फ भौतिक रूप में विद्यमान होता है, बल्कि ऊर्जा के रूप में भी होता है। ऊर्जा के रूप में रोग, रोग ग्रस्त जीव द्रव्य पदार्थ (bioplasmic matter) कहलाती है। दिव्य दर्शन से देखा गया है कि वह रोगग्रस्त ऊर्जा साधारणत: भूरी सी या अन्धकार पूर्ण होती है।
४. प्रेषण का सिद्धान्त- Principle of Transmittability
जीवन शक्ति या ओजस्वी ऊर्जा को एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या वस्तु को अथवा किसी एक वस्तु से दूसरी वस्तु या व्यक्ति को प्रेषण की जा सकती है। ५. संक्रमण का सिद्धान्त- Principle of contamination
रोग ग्रस्त ऊर्जा प्रेषित की जा सकती है। उसको एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति या उपचारक को भेजी जा सकती है। किसी व्यक्ति की रोग ग्रस्त ऊर्जा दूसरे व्यक्ति, वस्तु, पशु अथवा / और पौधे को संक्रमित कर सकती है।
इसलिए इस संक्रमण से बचने के लिए यह अति आवश्यक है कि उपचारक किसी रोगी की रोग-ग्रस्त ऊर्जा की सफाई करते समय और उसका ऊर्जन (energisation) करते समय अपने हाथों को झटकते रहे तथा उपचार के पश्चात् अपने हाथों एवं बाहों को अच्छी तरह धो ले।
६. नियंत्रण का सिद्धान्त - Principle of Controllability
जीवनशक्ति (प्राण ऊर्जा) एवम् रोगग्रस्त ऊर्जा को इच्छा शक्ति (will power) अथवा मानसिक भावना ( mind-intent ) द्वारा नियंत्रित तथा निर्देशित ( control and direct) किया जा सकता है।
४.६८