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________________ की भावनाओं को ठेस पहुंचाना, नशीली पदार्थों के प्रति आसक्ति, कठोर व्यवहार, निर्दयता, अविश्वास करना, नष्ट करने की प्रवृत्ति रखना है। जब कोई व्यक्ति हिंसा पर उतारू हो जाता है, तो आज्ञा चक्र, सौर जालिका चक्र, मूलाधार चक्र और कटि चक्र अत्यधिक उत्तेजित हो जाते है, किन्तु इनमें से सबसे मुख्य सौर जालिका चक है और इस चक्र का उपचार करने पर थोड़े ही समय में व्यक्ति को शान्त किया जा सकता है। जब कोई व्यक्ति अत्यधिक क्रोध करता है, तो उसका सौर जालिका चक्र अनियमित तौर पर कार्य करता है, जिससे डायफ्राम भी अनियमित हो जाता है तथा जिसके परिणामस्वरूप अनियमित और उखड़ी-उखड़ी साँस हो जाती है। जैसा कि ऊपर लिखा है कि सौर जालिका चक्र भावनाओं का केन्द्र होता है। भावनाओं का सर्वप्रथम इसी चक्र पर प्रभाव पड़ता है- वह किस प्रकार, यह समझना आवश्यक है। चित्र ४.१० में चक्र की रचना दर्शायी गई है। इसमें एक ऊर्जा का फिल्टर भी दर्शाया गया है। परासामान्य (esoteric) विज्ञान के अनुसार भावनाओं, सोचना और महसूसियत के कारण मानसिक और भावनात्मक ऊर्जा का उत्पादन होता है। जो आप सोचते हैं, महसूस करते हैं और अनुभव करते हैं, उनसे psychic beings उत्पन्न होते हैं जो विचारों के आकार (thought forms) या विचारों की हस्ती (thought entities) कहलाते हैं। दूसरे शब्दों में, आपके विचारों के आकार वास्तविक होते हैं और आपके स्वयं को एवम् दूसरे व्यक्तियों को प्रभावित कर सकते हैं। यह विचारों के आकार दो प्रकार के- सकारात्मक और नकारात्मक होते हैं। सकारात्मक के उदाहरण क्षमा, मार्दव, आर्जव, संतोष, सत्य, निडरता, सुरक्षा, योग्यता, आशा, साहस, उन्नति की आकांक्षा, मैत्री भाव, उदारता, उच्च विचार, सकारात्मक प्रवृत्ति हैं। नकारात्मक के उदाहरण क्रोध, अहंकार, मायाचारी, लोभ, झूठ, भय, असुरक्षा, निरर्थकता, निराशा, उदासी, मायूसी, निराशात्मक प्रवृत्ति, चोरी, निरन्तर खाते रहने की प्रवृत्ति, नशीली पदार्थों की आसक्ति, स्वार्थपरता है। नकारात्मक विचारों के आकार (thought entities) विभिन्न चक्रों में विशेष तौर पर सौर जालिका चक्र में स्थित हो जाते हैं, जो लंबे समय में रहने के फलस्वरूप फोबिया (Phobia) (एक प्रकार का भय जिसकी वास्तविकता नहीं ४.३३
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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