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होती) बन जाता है। इन भावनात्मक आघात के सोच के आकारों (traumatic thought entities) में कुछ अंश तक चेतनता आ जाती है। यह सोच के आकार चक्र के फिल्टर और पटलों के मध्य में अवस्थित हो जाते हैं क्योंकि ऊर्जा फिल्टर इनको अन्दर मैरिडियन्स (meridians) में प्रवेश करने से रोकता है। इनके रंग भूरे (Grey) या गहरे रंग के बादल के तरह के होते हैं तथा आकार में बहुत छोटे होते हैं। इसी प्रकार सकारात्मक विचारों के सोच के आकार भी होते
नकारात्मक भावनाओं व सोच के लम्बे समय तक रहने से नकारात्मक पदार्थ (Negative elementals) भी उत्पन्न होते हैं, जिनका आकार एक-तिहाई इंच से लेकर कई इंच तक हो सकता है। ये एक प्रकार के ऊर्जा के तिलचट्टे (cockroaches) या परजीवी (parasites) होते हैं जो चक्र के ऊर्जा की जाली के ऊपर अवस्थित हो जाते हैं। अलग-अलग नकारात्मक विचारों के अलग-अलग प्रकार के नकारात्मक परजीवी होते हैं तथा यह नकारात्मक ऊर्जा का भोजन करते हैं। अतएव यह उस व्यक्ति को नकारात्मक सोच के लिये प्रेरित करते हैं। उदाहरण के तौर पर यदि किसी व्यक्ति के लम्बे समय तक क्रोधित रहने के परिणाम स्वरूप, क्रोध प्रकृत्ति के नकारात्मक परजीवी उत्पन्न होकर उस व्यक्ति के ऊर्जा चक्र में रहते हैं, तो उनको क्रोध प्रकृति के विचारों की ऊर्जा का भोजन चाहिये, जिसके लिये वे परजीवी उस व्यक्ति को क्रोध करने के लिये प्रेरित करते हैं और इससे क्रोध की जो सोच की ऊर्जा उत्पन्न होती है, उसको वे खाते हैं। इससे वे आकार में धीरे-धीरे बढ़ते भी रहते हैं। उनके विद्यमान रहने से ऊर्जा चक्रों के माध्यम से ऊर्जा शरीर में जाने वाली अच्छी व स्वस्थ ऊर्जा संक्रमित हो जाती है। ये परजीवी चक्र की जाली को काटने का भी प्रयास करते
ये नकारात्मक सोच के आकार और नकारात्मक परजीवी व्यक्ति को लगातार परेशान करते रहते हैं, उस पर लगातार प्रभाव डालते रहते हैं; यहाँ तक कि उसकी प्रवृत्ति, चरित्र व प्रकृति भी बदल डालते हैं। ऊर्जा के फिल्टर में इनके लगातार लम्बे समय तक रहने से दरार पड़ जाती है और छेद हो जाते हैं। इसके अतिरिक्त नशीले पदार्थों से उत्पन्न hallucinogenic chemicals द्वारा
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