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चक्र द्वारा पूरे शरीर को ऊर्जित किया जा सकता है। कभी-कभी इसकी पूरी तरह सफाई किये बिना ही अधिक मात्रा में ऊर्जित करने पर प्राणशक्ति में घनापन आ जाता है, जिसके परिणामस्वरूप आंशिक रूप से छाती के डायफ्राम को लकवा मार जाता है और सांस लेने में कठिनाई आ जाती है। प्राणशक्ति के घनेपन को शीघ्र ही दूर किया जाना चाहिए ।
सौर जालिका चक्र से कुछ ऊर्जा हृदय चक्र को जाती है, जिससे हृदय चक्र प्रभावित होता है।
(ग) चक्र के गलत ढंग से कार्य करने के कारण रोग
शारीरिक- मधुमेह (diabetes), घाव (Ulcer) (गैस्ट्रिक अथवा आंतों का), यकृत शोथ ( hepatitis) हृदय रोग, डायफ्राम के सुचारु रूप से कार्य न करने के फलस्वरूप सांस लेने में कठिनाई, अग्न्याशय सम्बन्धी रोग, पाचनशक्ति के रोग, पित्ताशय के रोग, उच्च कोलेस्ट्रोल स्तर (high cholestrol level), गंदा रक्त व रक्त सम्बन्धी रोग, रिह्यूमैटोइड संधिवात ( rheumatoid arthritis), प्रतिरक्षात्मक तंत्र के रोग, Lupus Erythematosus - अल्सर सम्बन्धित रोग, विशेष तौर पर त्वचा का क्षय रोग ( tuberculosis), Erythemea (त्वचा पर चिकत्ते पड़ जाना), ग्लूकोमा ( glaucoma), माइग्रेन सिरदर्द, तीव्र साइनसाइटिस ( acute sinusitis), थायराइड ग्रंथि का बढ़ जाना (hyperthyroidism), सांस सम्बन्धी रोग जैसे अस्थमा, संक्रामित यकृत, कब्ज, आंतों का मुड़ जाना, गुर्दे का क्षतिग्रस्त होना, उच्च रक्तचाप, कैन्सर, क्षयरोग, अन्दर साधारण घाव होना (peptic ulcer), uiceration colitis (कोलाइटिस), त्वचा सम्बन्धी रोग, अस्थि रोग, सोते में पेशाब निकल जाना आदि ।
मनो- यह चक्र रचनात्मक एवम् नकारात्मक भावनाओं का केन्द्र हैं। आम तौर पर स्त्रियाँ नकारात्मक भावनाओं के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। चूँकि यह अन्य समस्त चक्रों को प्रभावित करता है, अतएव सभी मनोरोगों में इसका उपचार परमावश्यक होता है। रचनात्मक भावनाओं के उदाहरण आकांक्षा, साहस, धैर्य, सकारात्मक उद्देश्य के लिये अग्रशील होना, निर्भीकता, उन्नति अथवा विजय पाने की भावना है। नकारात्मक भावनाओं के उदाहरण क्रोध, अहंकार, लालच, घृणा, क्षोभ, चिन्ता, भय, चिड़चिड़ापन, हिंसात्मक प्रवृत्ति, स्वार्थीपन, दूसरों
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