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________________ (४) जीव द्रव्य शरीर अपनी स्वास्थ्य किरणों व स्वास्थ्य आभा द्वारा रोगाणुओं और रोगग्रस्त जीवद्रव्य पदार्थ से बचने के लिए एक सुरक्षित आवरण का कार्य करता है। प्रदूषक, बेकार कचरा और रोगाणुओं को स्वास्थ्य किरणों द्वारा बारीक छेदों के माध्यम से बाहर निकालकर पूरे भौतिक शरीर को साफ रखा जाता है। अध्याय ७ प्राण-ऊर्जा और दैनिक उपयोग मानसिक शक्ति अथवा हाथ की हथेली में स्थित हाथ-चक्र (ऊर्जा चक्र का वर्णन आगे करेंगे) अथवा आँखों द्वारा ऊर्जा का आदान-प्रदान किया जा सकता है। इसके दैनिक उपयोग के उदाहरण निम्न प्रकार हैं: १. किसी को आशीर्वाद देना- हाथ की हथेली के माध्यम से आशीर्वाद दिया जाता है। इसमें आशीर्वाद देने वाले व्यक्ति द्वारा उसकी ऊर्जा प्रेषित होती है जिसका प्रभाव दूसरे व्यक्ति पर पड़ता है। रोगी व्यक्ति की नजर उतारना-- मिर्च, तेल की बत्ती या पत्थर द्वारा रोगी के चारों ओर घुमाकर, मानसिक शक्ति द्वारा रोगी की रोगग्रसित ऊर्जा को बाहर निकालकर तथा उसको उक्त नजर उतारने वाले पदार्थ के द्वारा ग्रहण कराया जाता है। फिर मिर्च या तेल की बत्ती को जलाकर रोगग्रसित ऊर्जा को नष्ट किया जाता है अथवा पत्थर को कहीं दूर फेंक दिया जाता है। ___ ताबीज, गण्डा आदि- इसमें मंत्र को लिखकर ताबीज, गण्डा आदि में रखकर आशीर्वाद सहित दूसरे व्यक्ति के गले या हाथ में पहनाया जाता है। इस प्रकार उस मंत्र में निहित ऊर्जा एवम् आशीर्वाद की ऊर्जा उस व्यक्ति को प्रभावित करती है। रोगी व्यक्ति का पराउपचार, स्वउपचार अथवा दूरस्थ उपचार। इसका विस्तृत वर्णन भाग-५ में किया गया है। ४.१६
SR No.090007
Book TitleAdhyatma aur Pran Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLakhpatendra Dev Jain
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages1057
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari, Spiritual, & Yoga
File Size15 MB
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