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(६) आँतों में जमा मल हटाने के लिये समय-समय पर गुनगुने पानी में नीबू
को निचोड़कर, उससे एनीमा में। (७) भोजन लेने के बाद मूत्र त्याग अवश्य करें। स्वास्थ्य पेय- ३०० ग्राम आँवले का चूर्ण में १०० ग्राम सौंठ मिलाइये। इसमें से सुबह-शाम एक चम्मच चूर्ण खाकर ऊपर से पानी पीजिए। यह पेय हर एक के लिये उपयोगी है, विशेषतः रोगी, वृद्ध, गर्भवती स्त्री और बढ़ते हुए बच्चे के लिये। अष्टमी व चतुर्दशी को चन्द्रमा के प्रभाव से शरीर का पानी दूषित होता है। इससे बचने के लिये प्रोषधोपवास करें अथवा उपवास करें अथवा एक बार ही भोजन करें अथवा अधिकतम दो बार भोजन करें। इन दिनों हरी सब्जी व
वनस्पति न खाएँ। (१०) दस्त होने पर आधा कप गरम चाय में आधा कप ताजा पानी मिलाकर पीयें। (११) निम्नलिखित पद्धतियां बगैर दवा के उपलब्ध हैं:
(क) एक्यूप्रेशर (Acupressure) (ख) एक्यूपंक्चर (Acupuncture)| इसमें सुईयों का उपयोग होता है। (ग) रंग चिकित्सा- श्वेत रंग में विज्ञान की दृष्टि से लाल, केसरी, पीला,
हरा, आसमानी, इंडीगो (नील) और जामुनी रंग होते हैं। इनमें से प्रथम तीन गरम प्रकृति के, चौथा समशीतोष्ण और अंतिम तीन रंग ठंडी प्रकृति
वाले होते हैं। इसी सिद्धान्त के आधार पर चिकित्सा की जाती है। (घ) प्राकृतिक चिकित्सा- इसमें मिट्टी, पानी, भाप, वायु, सूर्य, आहार,
उपवास द्वारा चिकित्सा की जाती है। (ड.) चुम्बक चिकित्सा- इसमें चुम्बक के उत्तरी ध्रुव व दक्षिणी ध्रुव द्वारा
चिकित्सा की जाती है जो रक्त में अवस्थित होमोग्लोबीन को प्रभावित कर रक्त की शुद्धि के माध्यम से रोग को दूर करती है। इसके साथ एक्यूप्रेशर या एक्यूपंक्चर पद्धति नहीं करनी चाहिए, अन्यथा हानि हो सकती है।
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