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प्राणायाम- सूर्याग, चन्द्रांग, उज्जायी, कर्ण रोगान्तक, शीतली, सीत्कारी, प्लाविनी
आदि।
योगासन
सर्वांगासन, उत्तानपादासन, हलासन, बद्धपद्मासन, योगमुद्रासन, मत्स्यासन, पश्चिमतानासन, वक्रासन, गोमुखासन, मकरासन, चक्रासन, मर्कटासन, पूर्ण धनुरासन, नाभि आसन, उष्ट्रासन, अर्धचन्द्रासन, सूर्य नमस्कार, शीर्षासन, सिद्धासन, कुक्कुटासन, मयूर आसन, पर्वतासन, वृश्चिकासन, पादांगुष्ठासन, ब्रह्मचर्यासन, ध्रुवासन, गरुड़ासन, वृक्षासन, पक्ष्या, मातायनासन आदि।
बंध- जालन्धर बंध, उड्डीयान बंध, महाबंध
यदि आप उपरोक्त प्राणायाम/योगासन/बन्ध में दिलचस्पी रखते हैं, तो किसी योग्य योग शिक्षक से परामर्श करके ही करें, अन्यथा हानि भी हो सकती है। (३) प्रतिदिन कम से कम भस्त्रिका एवं कपाल भाति प्राणायाम अवश्य ही करें।
इनसे जो लाभ प्राप्त होगा, वह अनेक आसनों से भी अधिक होगा। सप्ताह में सुविधानुसार, यदि चाहें तो योगासन/व्यायामादि से अवकाश ले सकते हैं, किन्तु प्राणायाम तो अवश्य करें। आसनों में जिस क्रम को ऊपर दिया गया है, उसी प्रकार करें। यदि इनमें से । कोई आसन नहीं करना हो, तो उसको छोड़ दें। उपरोक्त कथन साधारणतः एक स्वस्थ व्यक्ति की अपेक्षा से है। इसमें अपनी परिस्थितियों के अनुसार परिवर्तन कर सकते हैं।
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